मंगला गौरी उद्यापन विधि मंत्र के साथ | Mangala Gauri Vrat Udyapan vidhi with mantra
मंगला गौरी व्रत का उद्यापन पाँचवें वर्ष में श्रावण शुक्ल पक्ष के मंगलवार को करना चाहिये। इस विधि से व्रत करने पर सात जन्मों तक सौभाग्य बना रहता है और पुत्र, पौत्र आदि के साथ सम्पदा विद्यमान रहती है।
मंगला गौरी उद्यापन पूजा सामग्री
प्रातःकाल उठकर नित्यकर्म से निवृत हो स्नान करें। स्वच्छ नवीन वस्त्र धारण करें। पूजा गृह को साफ तथा शुद्ध कर लें । केले के चार पत्ते या चार तने से मण्डप बनायें। उसे विभिन्न प्रकार के पुष्प तथा रेशमी वस्त्रों से सजायें। सभी पूजन सामग्री एकत्रित कर पूर्व की ओर मुख करके आसन पर बैठ जायें। पात्र को चावल से भरकर मण्डप के मध्य में रखें। उस पर लाल रेशमी वस्त्र बिछायें। पात्र पर गौरी माँ की मूर्ति स्थापित करें । सबसे पहले हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र उच्चारण के द्वारा स्वयं पर जल छिड़ककर अपने आप को शुद्ध कर लें”-
ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
उसके बाद हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र उच्चारण के द्वारा सभी पूजन सामग्री पर जल छिड़ककर पूजन सामग्री को शुद्ध कर लें”-
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
तत्पश्चात् अपने आत्मा की शुद्धि के लिये पुष्प अथवा चम्मच से मुख में एक-एक बूंद जल डलकर निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:-
ॐ केशवाय नमः
ॐ नारायणाय नमः
ॐ वासुदेवाय नमः
इसके बाद “ॐ हृषिकेशाय नमः” कहते हुये अंगूठे से होंठ को पोछ ले।
गणेश पूजन:-
किसी पात्र या कटोरी में गणेश जी की मूर्ति रखकर चौकी पर रखें। धूप दीप, अक्षत, चंदन, पुश्प और नैवेद्य अर्पित कर गणेश जी का पूजन करें।
मंत्र उच्चारण के बाद सभी सामग्री माँ गौरी के चरणों में समर्पित करें। देवी की मूर्ति के पास हीं मण्डप में चाँदी का सील तथा लोढ़ा स्थापित करें।
ताँबे के पात्र या लोटे मे जल भर लें। उसमें अक्षत तथा पुष्प डाल कर गौरी माँ को अर्घ्य अर्पित करें।
१६ ब्राह्मण दम्पत्ति को भोजन करायें।भोजन के पश्चात् सभी को एक-एक सुहाग पिटारी और दक्षिणा दें।सभी से आशीर्वाद लें। अपनी सास को सुहाग पिटारी(बायना) देकर आशीर्वाद लें। उसके बाद भोजन करें।
॥ मंगला गौरी उद्यापन सम्पूर्णम ॥