अंगारकी चतुर्थी पूजन विधि एवं कथा - (Angarki Chaturthi Puja Vidhi and Katha)

गणेश अंगारकी चतुर्थी का व्रत करने से पूरे साल भर के चतुर्थी व्रत के करने का फल प्राप्त होता है। अंगारक (मंगल देव) के कठिन तप से प्रसन्न होकर गणेश जी ने वरदान दिया और कहा कि चतुर्थी तिथि यदि मंगलवार को होगी तो उसे अंगारकी चतुर्थी के नाम से जाना जायेगा। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी काम बिना किसे विघ्न के सम्पूर्ण हो जाते हैं। भक्तों को गणेश जी की कृपा से सारे सुख प्राप्त होते हैं

पूजन सामग्री सूची :- Puja Samagri list

गणेश जी की प्रतिमा
धूप
दीप
नैवेद्य(लड्डु तथा अन्य ऋतुफल)
अक्षत
फूल
कलश
चंदन केसरिया
रोली
कपूर
दुर्वा
पंचमेवा
गंगाजल
वस्त्र (2 – एक कलश के लिये- एक गणेश जी के लिये)
अक्षत
घी
पान
सुपारी
लौंग
इलायची
गुड़
पंचामृत (कच्चा दूध, दही,शहद, शर्करा, घी)

अंगारकी संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि:- | Angarki Chaturthi Puja Vidhi

ध्यानं –
दोनो हाथ जोड़कर हाथ में पुष्प लेकर गणेश जी का ध्यान करें ।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
श्री गणेशायै नम:। ध्यानम् समर्पयामि॥

उपर लिखे हुए मंत्र का उच्चारण करें और पुष्प श्री गणेश जी के चरणों में छोड़ दें ।

आवाहनं
हाथ में चावल लेकर दिये गये मंत्र को पढ़ते हुए श्री ग़णेश जी के चरणों मे चावल छोड़ दें।

गणानां त्वा गणपतिं हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे |
निधीनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम् ||
ॐ श्री ग़णेशाय नम:। आवाहयामि॥ स्थापयामि॥

आसनं
दाएँ हाथ मे पुष्प लें और दिये गये मंत्र का उच्चारण करते हुए

रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्यंकर शुभम |
आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः ||
ॐ गणेशाय नम:। आसनं समर्पयामि ॥

पुष्प गणेश जी पर छोड़ दें ।

पाद्यं
दाएँ हाथ मे पुष्प लें और दिये गये मंत्र का उच्चारण करते हुए

उष्णोदकं निर्मलं च सर्व सौगंध्य संयुत्तम |
पादप्रक्षालनार्थाय दत्तं ते प्रतिगह्यताम ||
ॐ श्री गणेशाय नम:। पादयोर्पाद्यम् समर्पयामि ॥
ॐ श्री गणेशाय नम:। पाद्यम् समर्पयामि ॥

और यह जल मूर्ति के आगे या गणेश जी को समर्पित करें ।

अर्घ्यं-
एक अर्घा में गंध,अक्षत,पुष्प लेकर दिये हुए मंत्र को बोलते हुए -

अर्घ्य गृहाण देवेश गंध पुष्पाक्षतै :|
करुणाम कुरु में देव गृहणार्ध्य नमोस्तुते |
ॐ श्री गणेशाय नम:। हस्तयो: अर्घ्यम् समर्पयामि ॥|

अर्घ्य मूर्ति के आगे अथवा गणेश जी को समर्पित करें ।

आचमनं-
चम्मच में थोड़ा जल लेकर दिये हुए मंत्र को बोलते हुए -

सर्वतीर्थ समायुक्तं सुगन्धि निर्मलं जलं |
आचम्यताम मया दत्तं गृहीत्वा परमेश्वरः ||
ॐ गणेशाय नम:। आचमनीयं जलं समर्पयामि ॥

यह जल श्री गणेश जी के चरणों मे छोड़ दें ।

स्नानं-
श्री गणेश जी के मूर्ति को को गंगाजल से स्नान करवाएं। एक पात्र में जल लेकर दिये हुए मंत्र को बोलते हुए –

गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलै:|
स्नापितोSसी मया देव तथा शांति कुरुश्वमे ||
ॐ श्री गणेशाय नम:। स्नानं समर्पयामि ॥
जलं समर्पयामि॥

स्नान के लिये श्री गणेश जी को जल समर्पित करें।फिर आचमन के लिये पुन: जल समर्पित करें ।

पंचामृत स्नानं-
एक पात्र में दूध,दही,घी,शहद,शर्करा(शक्कर) मिलाकर पंचामृत बनायें। –

पयोदधिघृतं चैव मधु च शर्करायुतं
पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृहृताम ।
ॐ श्री गणेशाय नम:। पंचामृत स्नानं समर्पयामि ॥

शुद्धोदक-स्नान –
अब शुद्ध जल लेकर दिये हुए मंत्र को बोलते हुए -

मंदाकिन्यास्त यध्दारि सर्वपापहरं शुभम |
तदिधं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||
ॐ श्री गणेशाय नम:। शुद्धौदक स्नानं समर्पयामि ॥

शुद्ध जल से स्नान करायें।

वस्त्रं-
वस्त्र (वस्त्र ना हो तो मौली तोड़कर) हाथ में ले तथा मंत्र पढ़ते हुए –

ॐ तं यज्ञं बर्हिषि प्रौक्षन् पुरुषं जातमग्रत:
तेन देवा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये
रक्तवर्णं वस्त्रयुग्मं देवानां च सुमंगले
गृहाणेश्वर सर्वज्ञ लम्बोदर शिवात्मज
ॐ श्री गणेशाय नम:। वस्त्रं समर्पयामि ॥
आचमनीयं जलं समर्पयामि ॥

वस्त्र समर्पित करें । आचमन के लिये जल समर्पित करें ।

उपवस्त्रं-
मौली तोड़कर हाथ में ले तथा मंत्र बोलते हुए श्री गणेश जी को उपवस्त्र समर्पित करें ।

उत्तरीयँ तथा देव नाना चित्रितमुत्तम
गृहाणेद्रं मया भक्तया दत्तं तत सफली कुरु
ॐ श्री गणेशाय नम:। उत्तरीय उपवस्त्रं समर्पयामि ॥
आचमनीयं जलं समर्पयामि ॥

आचमन के लिये जल समर्पित करें

यज्ञोपवीतं
यज्ञोपवीत हाथ में ले तथा मंत्र बोलते हुए श्री गणेश जी को समर्पित करें ।

नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम् |
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर ||
ॐ श्री गणेशाय नम:। यज्ञोपवीतं समर्पयामि ॥
आचमनीयं जलं समर्पयामि ॥

आचमन के लिये जल समर्पित करें ।

गंधं-
एक पात्र में चंदन लें ।

श्रीखण्डचन्दनं दिव्यँ गन्धाढयं सुमनोहरम |
विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यतां
ॐ श्री गणेशाय नम:। गंधं समर्पयामि ॥

अनामिका अंगुली (दाएं हाथ की छोटी अंगुली के साथ वाली अंगुली ) से चंदन श्री गणेश जी को अर्पित करें ।

सिंदूरं-
हाथ मे सिंदूर की डिब्बी लें ।

सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम् |
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम् ||
ॐ श्री गणेशाय नम:। सिंदूरं समर्पयामि ॥

श्री गणेश जी को सिंदूर समर्पित करें ।

कुंकुमं (अबीर) -
एक पात्र में कुंकुम (गुलाल) लें ।

कुंकुमं कामनादिव्यं कामनाकामसंभवाम |
कुंकुमेनार्चितो देव गृहाण परमेश्वर्: ||
ॐ श्री गणेशाय नम:। कुंकुमं समर्पयामि ॥

गणेश जी को कुंकुम समर्पित करें ।

अक्षतं-
हाथ में साबुत चावल और थोड़ा चंदन लेकर मिलाएं।।

अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः |
माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः ||
ॐ श्री गणेशाय नम:। अक्षतान् समर्पयामि ॥

श्री गणेश जी को अक्षत समर्पित करें ।

पुष्पं-
हाथ में साबुत चावल और थोड़ा चंदन लेकर मिलाएं।।

पुष्पैर्नांनाविधेर्दिव्यै: कुमुदैरथ चम्पकै: |
पूजार्थ नीयते तुभ्यं पुष्पाणि प्रतिगृह्ताम् ||
ॐ श्री गणेशाय नम:। पुष्पं समर्पयामि ॥

पुष्प खड़े होकर समर्पित करना चाहिये ।

पुष्पमाला
हाथ में साबुत चावल और थोड़ा चंदन लेकर मिलाएं।।

माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो |
मयाहृतानि पुष्पाणि गृह्यन्तां पूजनाय भोः ||

ॐ श्री गणेशाय नम:। पुष्पमालां समर्पयामि ॥

पुष्पमाला श्री गणेश जी को समर्पित करें ।

दूर्वादलं (दूब की गुच्छी)-
हाथ में साबुत चावल और थोड़ा चंदन लेकर मिलाएं।।

दुर्वांकुरान् सुहरितानमृतां मंगल प्रदान्।
आनीतांस्तव पुजार्थ गृहाण गणनायक
ॐ श्री गणेशाय नम:। दूर्वाङ्कुंरान् समर्पयामि ॥

धूपं-
धूप जला कर धूप तैयार करें

वनस्पतिरसोदभूतो गन्धढयो गंध उत्तम : |
आघ्रेय सर्वदेवानां धूपोSयं प्रतिगृह्यतां ||
ॐ श्री गणेशाय नम: धूपं आघ्रापयामि।

श्री गणेश जी को धूप समर्पित करें ।

दीपं
श्री गणेश जी को दीपक मंगल कामना के साथ समर्पित करें ।

साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया |
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम् |
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने |
त्राहि मां निरयाद् घोरद्दीपज्योत
ॐ श्री गणेशाय नम: दीपं दर्शयामि।

अब आप शुद्ध जल से हाथ धो लें ।

नैवैद्यम्-
हाथ में लड्डु का पात्र लें तथा मंत्र उचारण कर श्री गणेश जी को समर्पित करें ।

नैवेद्यं गृह्यतां देव भक्तिं मे ह्यचलां कुरू |
ईप्सितं मे वरं देहि परत्र च परां गरतिम् ||
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च |
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद्यं प्रतिगृह्ताम्॥
ॐ श्री गणेशाय नम: नैवेद्यम् समर्पयामि।
मध्ये पानीयम् उत्तरपोशनार्थ,हस्तप्रक्षालनार्थं
मुख प्रक्षालनार्थं च जलं समर्पयामि।

भोग अर्पित करके एक-एक चम्मच जल पाँच बार श्री गणेश जी को समर्पित करते हुए मंत्र बोलें
1. ॐ प्राणाय स्वाहा
2. ॐ अपानाय स्वाहा
3. ॐ व्यानाय स्वाहा
4. ॐ उदानाय स्वाहा
5. ॐ समानाय स्वाहा

आचमनं-
चम्मच में जल ले कर मुख शुद्धि के लिये जल समर्पित करें ।

गंगाजलं समानीतां सुवर्णकलशे स्थितन |
आचमम्यतां सुरश्रेष्ठ शुद्धमाचनीयकम ||
ॐ श्री गणेशाय नम: । आचमनीयम् जलं समर्पयामि।

ऋतुफलं –
मंत्र के साथ , फल समर्पित करें तथा आचमन के लिये जल समर्पित करें ।

नारिकेलफलं जम्बूफलं नारंगमुत्तमम |
कुष्माण्डं पुरतो भक्त्या कल्पितं प्रतिगृह्यतां |
ॐ श्री गणेशाय नम: । ऋतुफलम् समर्पयामि।
आचमनीयं जलं समर्पयामि।

अखंड ऋतुफलं-
अखण्ड ऋतुफल(पंचमेवा) अर्पित करें तथा आचमन के लिये जल समर्पित करें।

इदं फलं मयादेव स्थापितं पुरतस्तव |
तेन मे सफलावाप्तिर्भवेत् जन्मनि जन्मनि ||
ॐ श्री गणेशाय नम: । अखण्डऋतुफलम् समर्पयामि।
आचमनीयं जलं समर्पयामि।

ताम्बूलं(पूंगीफल)-
ताम्बूल (पान के पत्ते) को उल्टा करके उस पर लौंग,इलायची,सुपारी एवं कुछ मीठा रखें। दो ताम्बूल बनायें । मंत्र के साथ श्री गणेश जी मुख शुद्धि के लिये ताम्बूल अर्पित करें

पूंगीफलम महद्दिश्यं नागवल्लीदलैर्युतम |
एलादि चूर्णादि संयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यतां ||
ॐ श्री गणेशाय नम: । मुखावासार्थे ताम्बूलं समर्पयामि।

द्र्व्यदक्षिणां-
श्रद्धानुसार पैसा- रूपया हाथ में लेकर मंत्र उच्चारण के साथ श्री गणेश जी को दक्षिणा अर्पित करें । मंत्र के साथ श्री गणेश जी मुख शुद्धि के लिये ताम्बूल अर्पित करें

सौवर्णं रजतं चैव,निक्षिप्तं च तवाग्रथ:
सुवर्ण पुष्पं देवेश सर्व विघ्न हरो भव
ॐ श्री गणेशाय नम: । द्रव्यदक्षिणां समर्पयामि।

प्रार्थनां:- श्री गणेश
दोनों हाथ जोड़कर श्री गणेश जी को नमस्कार करते हुए मंत्र का उच्चारण करें -

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय
लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय |
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ||
ॐ श्री गणेशाय नम:
प्रार्थनापूर्वकं नमस्कारान् समर्पयामि ॥

चंद्रमा पूजन:-
चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा की पूजा कर अर्घ्य अर्पण करें। उसके बाद गणेश चतुर्थी की कथा सुने अथवा सुनाये।

कथा सुनने के बाद आरती, मंत्र-पुष्पाञजलि एवं क्षमा प्रार्थना करें जो कि कथा के अंत मे विधि पूर्वक लिखी हुई है।