बुधवार व्रत उद्यापन विधि
Budhvar Vrat Udyapan Vidhi in Hindi Page 7/7
आरती:-
एक थाली या आरती के पात्र में दीपक तथा कपूर प्रज्वलित कर बुध देव की आरती करें:-
आरती युगलकिशोर की कीजै । तन मन न्यौछावर कीजै।।
गौरश्याम मुख निरखन लीजे। हरी को स्वरुप नयन भरी पीजै ॥
रवि शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरिख मेरो मन लोभा ॥
ओढे नील पीत पट सारी । कुंज बिहारी गिरिवर धारी॥
फूलन की सेज फूलन की माला । रतन सिंहासन बैठे नंदलाला॥
कंचन थार कपूर की बाती । हरी आए निर्मल भई छाती॥
श्री पुरषोत्तम गिरिवर धारी। आरती करत सकल ब्रज नारी॥
नन्द -नंदन वृषभानु किशोरी । परमानन्द स्वामी अविचल जोरी॥
आरती का तीन बार प्रोक्षण करके सबसे पहले सभे देवी-देवताओं को आरती दें। उसके बाद उपस्थित व्यक्तियों को आरती दिखायें एवं स्वयं भी आरती ले।
प्रदक्षिणा :-
अपने स्थान पर खड़े हो जायें और बायें से दायें की ओर घूमकर प्रदक्षिणा करें:-
ऊँ सुबुद्धिप्रदाय नम: प्रदक्षिणा समर्पयामि
प्रार्थना
दोनों हाथ जोड़कर मंत्र के द्वारा बुध देव से प्रार्थना करें:-
प्रियंग कालिकाभासं रूपेणाप्रतिमं बुधम्।
सौम्य सौम्य गुणापेतं तं बुधप्रणमाम्यहम्॥
क्षमा-प्रार्थना :-
दोनों हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना करें:-
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम् ।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर: ॥
विसर्जन :-
विसर्जन के लिये हाथ में अक्षत , पुष्प लेकर मंत्र –उच्चारण के द्वारा विसर्जन करें :-
स्वस्थानं गच्छ देवेश परिवारयुत: प्रभो ।
पूजाकाले पुनर्नाथ त्वग्राऽऽगन्तव्यमादरात्॥
अब २१ ब्राह्मणों को यथाशक्ति भोजन करायें और दक्षिणा दें। तत्पश्चात् बंधु-बांधवों सहित स्वयं भोजन करें।