卐 ॥ ॐ श्री गणेशाय नमः ॥ 卐

श्री गणेशाम्बिका पूजन

हाथ में पुष्प लेकर गणेशम्बिका का ध्यान करें:-
एकदन्तं शूर्पकर्णं गज्वक्त्रं चतुर्भुजम्।
पाशाङ्कुशधरं देवं ध्यायेत् सिद्धिं विनायकम्।
हेमाद्रि तनयां देवीं वरदां शंकरप्रियाम्।
लम्बोदरस्य जननीं गौरीम् आवाहयामि अहम्।
गणेशाम्बिकाभ्यां नम:
गणेश अम्बिका पर पुष्प एवं ताम्बूल अर्पित करें
॥ इति श्री गणेशाम्बिका पूजनम्॥

अथ कलश पूजनं

हाथ में पुष्प तथा ताम्बूल लेकर कलश का ध्यान करते हुये निम्न मंत्र का उच्चारण करें :-
नमो नमस्ते स्फटिक प्रभाय
सुश्वेत हाराय सुमंगलाय ।
सुपाश हस्ताया झषासनाय
जलाधिनाथाय नमो नमस्ते ॥
“ॐ अपां पतये वरुणाय नम: ।“
कलश पर पुष्प एवं ताम्बूल छोड़ें ।
॥इति कलश पूजनं॥

अथ ओंकारादि पूजनं

ध्यान-हाथ में पुष्प लेकर नमस्कार करें :-
ओंकारं बिन्दुसंयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिन: ।
कामदं मोक्षदं चैव ओंकाराय नमो नम: ॥
पुष्प एवं ताम्बूल ॐ के ऊपर छोड़ दें।
पुष्प हाथ में लेकर श्री का ध्यान करें ।
ॐ श्रीश्च ते लक्ष्मी:च पत्न्या वहोरात्रे
पार्श्वे नक्षत्राणि रूपम अश्विनौ व्यात्तम्।
इष्णन्निषाणामुंम इषाण
सर्वलोकं म इषाण॥
पुष्प श्री के ऊपर छोड़ दें ।
हाथ में पुष्प लेकर अलग अलग ब्रह्मा,विष्णु एवं शिवजी का ध्यान करें :-
पद्योनिं चतूर्मुर्तिं वेद्गर्भं पितामहम्।
आवाहयामि ब्रह्माणं यज्ञसंसिद्धि हेतवे॥
ओम् भूर्भूव: स्व: ब्रह्मणे नम:।
पुष्प ब्रह्मा जी को समर्पित करें ।
शंखचक्र गदा पद्म हस्तं गरुड़ वाहनम्।
किरीट कुण्डलधरं विष्णुं आवाहयामि अहं॥
ओम् भूर्भूव: स्व: विष्णवे नम:।
पुष्प विष्णु जी को समर्पित करें ।
त्रिनेत्राय नम: तुभ्यं उमादेहार्ध धारिणे।
त्रिशूल धारिणे तुभ्यं भूतानां पतये नम:॥
ओम् भूर्भूव: स्व: रुद्राय नम:।
पुष्प शिव जी को समर्पित करें ।
हाथ में पुष्प लेकर सर्प देवता का ध्यान करें :-
नमोऽस्तु सर्पेब्भ्यो ये के च पृथ्वीमनु।
येअन्तरिक्षे ये दिवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम:॥
पुष्प सर्प देवता को समर्पित करें ।
॥ इति पंचोंपचार पूजनम्॥

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