सोमवार व्रत उद्यापन विधि:-(Somvar Udyapan Vidhi)

व्रत शुरु करने के पहले जितने व्रत का संकल्प लेते हैं, उतना पूर्ण होने पर अथवा मनोवांछित इच्छा पूरी होने पर सोमवार व्रत का उद्यापन करना चाहिये। यदि सोमवार व्रत का उद्यापन श्रावण मास के प्रथम या तीसरे सोमवार को किया जाय तो सबसे अच्छा माना गया है। सोमवार के उद्यापन के लिये सावन, कार्तिक, वैशाख, ज्येष्ठ या मार्गशीर्ष मास के सभी सोमवार उत्तम माने गये हैं। व्रत के उद्यापन में शिव-पार्वती जी की पूजा के साथ चंद्रमा की भी पूजा करने का विधान है।

सोमवार व्रत उद्यापन के लिये पूजा सामग्री:-

∗ शिव एवं पार्वती जी की मूर्ति,
∗ चंद्रदेव की मूर्ति अथवा चित्र,
∗ चौकी या लकड़ी का पटरा,
∗ अक्षत – २५० ग्राम,
∗ पान (डंडी सहित)- ५,
∗ सुपारी- ५,
∗ ऋतुफल,
∗ यज्ञोपवीत -१ जोड़ा(हल्दी से रंगा हुआ),
∗ रोली- १ पैकेट,
∗ मौली- १,
∗ धूप- १ पैकेट,
∗ कपूर-१ पैकेट,
∗ रूई- बत्ती के लिये,
∗ पंचामृत (गाय का कच्चा दूध, दही,घी,शहद एवं शर्करा मिला हुआ)- ५० ग्राम,
∗ छोटी इलायची- ५ ग्राम,
∗ लौंग- ५ ग्राम,
∗ पुष्पमाला-३ (२ सफेद एवं १लाल),
∗ चंदन- १० ग्राम (सफेद एवं लाल),
∗ कुंकुम,
∗ गंगाजल,
∗ कटोरी,
∗ आचमनी,
∗ वस्त्र – १.२५ मीटर का चार (एक लाल एवं तीन सफेद) ,
∗ पंचपात्र,
∗ पुष्प,
∗ लोटा,
∗ नैवेद्य,
∗ आरती के लिये थाली,
∗ मिट्टी का दीपक- ५,
∗ कुशासन- १,
∗ खुल्ले रुपये,
∗ चौकी या लकड़ी का पटरा,
∗ केले के खम्बे (केले का तना सहित पत्ता/ केले का पत्ता) – ४,
∗ आम का पत्ता,
हवन सामग्री:-
∗ हवन सामग्री- १ पैकेट ,
∗ आम की समिधा- १. २५ किलो,
∗ घी- १. २५ किलो,
∗ जौ- २५० ग्राम,
∗ काला तिल- २५० ग्राम ,
∗ अक्षत- २५० ग्राम

सोमवार व्रत उद्यापन पूजन विधि:- (Somvar Vrat Udyapan puja method)

प्रात:काल उठकर नित्य कर्म से निवृत हो स्नान कर लें। यदि हो सके तो सफेद वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को शुद्ध कर लें। पूजा स्थल पर केले के चार खम्बे के द्वारा चौकोर मण्डप बनायें। चारों ओर से फूल तथा बंदनवार (आम के पत्तों का) से सजायें। पूजा स्थल पर सभी सामग्री के साथ पूर्व की ओर मुख करके आसन पर बैठ जायें।
चौकी या लकड़ी के पटरे को मण्डप के बीच में रखें। चौकी पर सफेद वस्त्र बिछायें। उस पर शिव-पार्वती के विग्रह को स्थापि करें। उसे चौकी पर किसी पात्र में रखकर चंद्रमा को भी स्थापित करें।

सबसे पहले अपने आप को शुद्ध करने के लिये पवित्रीकरण करें।
पवित्रीकरण
हाथ में जल लेकर मंत्र –उच्चारण के साथ अपने ऊपर जल छिड़कें:-
ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥

इसके पश्चात् पूजा कि सामग्री और आसन को भी जल मंत्र उच्चारण के साथ जल छिड़क कर मंत्र शुद्ध कर लें:-
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥