मंगलवार व्रत उद्यापन विधि:-(Mangalvar Vrat Udyapan Vidhi) Page 10/10
आरती:-
थाल में कर्पूर जलाकर मंगलदेव की आरती करें:-
हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई।
सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥
दे बीड़ा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई॥
॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥
लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज सवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि संजीवन प्राण उबारे॥
॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥
पैठि पाताल तोरि जम-कारे।
अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे॥
॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥
सुर नर मुनि आरती उतारें।
जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई॥
॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे।
बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥
॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥
॥ इति श्री हनुमान आरती ॥
आरतीके बाद जल से प्रोक्षण कर सभी देव-देवियोंको आरती दें। उपस्थित जनों को आरती दें एवं स्वयं भी लें।
प्रार्थना : -
हाथ जोड़कर मंगलदेव से प्रार्थना करें:-
मंगल: प्रति गृह्णाति मंगलो वै ददाति च ।
मंगलस्तारकोभाभ्यां मंगलय नमो नम: ॥
दान:-
प्रार्थना के बाद दान की सभी सामग्री लेकर दक्षिणा सहित निम्न मंत्र के उच्चारण के साथ ब्राह्मणों को दान करें :-
मंगलाय नमस्तुभ्यं सर्व मंगलदायक ।
वायनेन च सन्तुष्ट: कुरुमे त्वं मनोरथान्॥
यदि सम्भव हो तो २१ ब्राह्मणों को भोजन करावें ।
॥ इति मंगलवार व्रत उद्यापन ॥