एक बुढ़िया उसके सात बेटे और एक बेटी की प्रचलित कहानी
यही बात माँ को आकर बताई तो वह बावड़ी सी हो कर भाई के पीछे भागी। रास्ते भर लोगों से पूछती की किसी ने मेरा गैल बाटोई देखा, किसी ने मेरा बावड़ा सा भाई देखा। तब एक ने बताया की कोई लेटा तो है पेड़ के नीचे, देख ले वही तो नहीं। बहन भागी भागी पेड़ के नीचे पहुची। अपने भाई को नींद से उठाया और बोला “भैया भैया कहीं तूने मेरे लड्डू तो नही खाए!! “
भाई ने बोला- “ये ले तेरे लड्डू, नहीं खाए मैने। ले दे के लड्डू ही तो दिए थे, उसके भी पीछे पीछे आ गयी। “
बहन बोली- “नहीं भाई, तुम झूठ बोल रहे है, ज़रूर तुमने खाया है। अब तो मैं तेरे साथ चलूंगी। “
भाई बोला- “तुम न मान रही है तो चल फिर। “
चलते चलते बहन को प्यास लगती है, वह भाई को कहती है की मुझे पानी पीना है।
भाई बोला- “अब मैं यहाँ तेरे लिए पानी कहाँ से लाउँ देख ! दूर कहीं चील उड़ रहीं हैं,चली जा वहाँ शायद तुझे पानी मिल जाए।”