आशा भोगती का व्रत विधि

आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से आशा भोगती व्रत शुरु होता है एवं आठ दिन तक किया जाता है। इस व्रत में हर वस्तु आठ की संख्या में उपयोग की जाती है। आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को प्रात:काल उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें। घर को साफ कर शुद्ध कर लें। रसोईघर को अच्छी तरह से साफ कर लें। उसके बाद रसोईघर के आठ कोने को गोबर से पोते। फिर आशा भोगती की कथा कहे या सुने। कथा समाप्त होने पर सभी आठ कोनों में दूध चढ़ायें, ८ रुपये चढ़ायें, रोली के ८ छींटें दें, मेहंदी के ८ छींटे लगाये, काजल के ८ टीके लगाये। उसके बाद हर कोने पर एक-एक सुहाली चढ़ायें और एक-एक दीपक जलायें। इसी प्रकार से आठ दिनों तक पूजा करें। व्रत अंतिम दिन अर्थात् आश्विन अमावस्या को व्रत रखा जाता है। अंतिम दिन प्रतिदिन की तरह पूजा करने के बाद सभी आठ कोने पर एक-एक फल तथा एक-एक सुहाग पिटारी चढ़ाये। आखरी दिन आठ सुहाली का बायना निकालें।

आशा भोगती का उद्यापन:-

आठ वर्ष तक आशा भोगती का व्रत करने के बाद नौवें वर्ष में इसका उद्यापन किया जाता है। उद्यापन में आठ दिन तक पूजा करें। आठों सुहाग पिटारी में सुहाग की सभी वस्तुयें एवं आठ-आठ सुहाली रखें। आठवें दिन पूजा के बाद आठ सुहागन स्त्रियों को भोजन करायें। उसके बाद एक-एक सुहाग पिटारी और दक्षिणा सहित देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।