श्रावण के रविवार का व्रत | Sawan Ravivar Vrat
श्रावण के रविवार को व्रत करना चाहिये। इस व्रत के किये जानेपर धनहीन व्यक्ति धन प्राप्त करता है, पुत्रहीन पुत्र प्राप्त करता है, कोढ़ी कोढ़ से मुक्त हो जाता है। बन्धन में पड़ा हुआ बन्धन से छूट जाता है और रोगी रोग से रहित हो जाता है। हे साधक जिस-जिस अभीष्ट की कामना करता है, इस व्रत के प्रभाव से उसे प्राप्त कर लेता है। इस प्रकार श्रावण के चार रविवारों और कभी-कभी पाँच रविवारों में इस व्रत को करना चाहिये, तदनन्तर व्रतकी सम्पूर्णता के लिये उद्यापन करना चाहिये। इससे सभी कामनाओं की सिद्धि हो जाती है।
सावन रविवार की पूजा विधि
Worship method of Sawan ravivar vrat:-
तदनन्तर घुटनों के बल भूमि पर झुककर बारहों मण्डलों पर पृथक्-पृथक् जपाकुसुम तथा रक्तचंदन से मिश्रित अर्घ्य श्रद्धा-भक्तिपूर्वक सुर्य को विधिवत प्रदान करे और रक्त (लाल) अक्षत, जपाकुसुम तथा अन्य उपचारों से पूजन करें। तदनन्तर खण्डशर्करा (मिसरी)- से युक्त नारिकेल के बीज का नैवेद्य अर्पित करके आदित्यमंत्रों से सुर्य की स्तुति करें
तत्पश्चात छ: तन्तुओं से बनाये गये सूत्र में छ: ग्रंथियाँ बनाकर देवेश सुर्य को अर्पण करके उसे अपने गले में बाँधें और पुन: बारह फलों से युक्त बायना ब्राह्मण को प्रदान करें।