परशुराम जयंती (parshuram jayanti)
परशुराम जी का जन्म वैशाख शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को एक प्रहर रात्रि जाने पर हुआ था। परशुराम जी विष्णु जी के छठें अवतार हैं। अत: अक्षयतृतीया को परशुराम जयंती भी कहते हैं। कोंकण और चिप्लून के परशुराम –मंदिरों में इस तिथि को परशुराम-जयंती बड़ी धूमधाम से मनायी जाते है।दक्षिण भारत में परशुराम जयंती को विशेष मह्त्त्व दिया जाता है। इस तिथि को परशुराम जी की पूजा की जाती है।
पूजा सामग्री:-
∗ परशुराम जी की मूर्ति
∗ चौकी या लकड़ी का पटरा
∗ धूप
∗ दीप
∗ घी
∗ नैवेद्य
∗ अक्षत
∗ चंदन
∗ वस्त्र
∗ कपूर
∗ पुष्प
∗ पुष्पमाला
परशुराम जयंती पूजन विधि:-(parshuram jayanti puja method)
व्रत के दिन साधक प्रात:काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें । पूजा स्थल को शुद्ध कर ले। आसन पर बैठ जाये । चौकी या लकड़ी के पटरे पर श्रीपरशुराम जी के विग्रह को स्थापित करें। अब हाथ में अक्षत, जल तथा पुष्प लेकर निम्न मंत्र के द्वारा व्रत का संकल्प करें:-
“ मम ब्रह्मत्व प्राप्तिकामनया परशुराम पूजनमहं करिष्ये ”
इसके बाद हाथ के पुष्प तथा अक्षत परशुराम जी के पास छोड़ दें।
सुर्यास्त तक मौन धारण करें । शाम को पुन: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान पर आसन पर बैठ जायें। षोडशोपचार विधि से पूजन करें। नैवेद्य अर्पित करें। धूप,दीप दिखायें।निम्न मंत्र के द्वारा परशुराम जी को अर्घ्य अर्पित करें-
जमदग्निसुतो वीर क्षत्रियान्तकर प्रभो।
गृहाणार्घ्य मया दत्तं कृपया परमेश्वर ॥
‘ हे प्रभु ! आप जमदग्नि के पुत्र हो और क्षत्रियों का नाश करनेवाले हो, अत: कृपया मेरे दिये अर्घ्य को स्वीकार करो।’
परशुराम जी की कथा सुने। आरती करें।उसके बाद पूरी रात्रि राम मंत्र का जाप करते हुये जागरण करें। दूसरे दिन पारण करें।