पापमोचनी एकादशी व्रत विधि एवं कथा - Papmochani Ekadashi Vrat Vidhi and Katha in Hindi
पापमोचनीी एकादशी व्रत चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहते हैं। इस व्रत के करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसके लिये मोक्ष का द्वार खुल जाता है।
पापमोचनी एकादशी व्रत महात्म्य:- (Importance of Papmochani Ekadashi)
इस व्रत के करने से मनुष्य अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है और श्री विष्णु भगवान प्रसन्न होते हैं। जिससे मनुष्य के मोक्ष का द्वार खुल जाता है। यह एकादशी मनुष्य के पापों को नष्ट करनेवाली कही गई है। इसके करने से स्वर्ण चोरी,परस्त्रीगामी ,ब्रह्म-हत्या आदि पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
पापमोचनी एकादशी व्रत पूजन सामग्री:- (Puja Saamagree for Papmochani Ekadashi Vrat)
∗ श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति
∗ पुष्प
∗ पुष्पमाला
∗ नारियल
∗ सुपारी
∗ अन्य ऋतुफल
∗ धूप
∗ दीप
∗ घी
∗ पंचामृत (दूध(कच्चा दूध),दही,घी,शहद और शक्कर का मिश्रण)
∗ अक्षत
∗ तुलसी दल
∗ चंदन- लाल
∗ मिष्ठान
∗ जौ
∗ तिल
पापमोचनी एकादशी व्रत की विधि (Puja Method Of Papmochani Ekadashi)
इस व्रत को करने के लिये भक्तों को एक दिन पूर्व से हीं नियम करना होता है। दशमी तिथि को सात्विक भोजन करें । भक्तजन प्रात:काल उठकर नित्यक्रम से निवृत होकर पूजा करें । उसके बाद हीं भोजन ग्रहण करें। भोजन पूरी तरह सात्विक होना चाहिये। भोजन में लहसुन, प्याज आदि प्रयोग ना करें। रात्रि को एक हीं बार भोजन करें। अब एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को शुद्ध कर लें।सभी सामग्री एकत्रित कर लें। सबसे पहले एकादशी व्रत का संकल्प करें और इस व्रत को सफल करने के लिये भगवान श्री विष्णु से याचना करें। संकल्प के बाद श्री विष्णु जी का पूजन षोडशोपचार विधि से करें। पुष्प,माला अर्पित करे। धूप,दीप दिखायें और भोग लगायें। तत्पश्चात एकादशी की कथा सुने अथवा सुनायें। श्री विष्णु भगवान एवं एकादशी माता की आरती करें। रात्रि जागरण करें। द्वादशी के दिन प्रात: स्नान कर पूजन करें। ब्राह्मण को दान दें। इसके उपरांत भोजन ग्रहण करें।