नृसिंह जयन्ती (Narsingh Bhagwan)
वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नृसिंह जयन्ती मनायी जाती है। इस वइसी तिथि को भगवान विष्णु, नृसिंह अवतार के रूप में प्रकट हुये थे, और हिरण्यकश्यप का वध किया था। इसलिये इस तिथि को नृसिंह जयन्ती के रूप में मनाते हैं। यह व्रत किसी भी वर्ग के लोग कर सकते हैं।
इस व्रत का महात्म्य और कथा सुनने से ब्रह्महत्या का पाप भी कट जाता है। इस व्रत के करने से मनुष्य सुख, भोग और मोक्ष तीनों की प्राप्ति कर लेता है। जिसके पास कुछ भी नहीं है, ऐसा दरिद्र मनुष्य भी यदि नियमपूर्वक नृसिंह चतुर्दशी को उपवास करता है तो वह नि:संदेह सात जन्म के पापों से मुक्त हो जाता है । जो भक्तिपूर्वक इस पापनाशक व्रत का श्रवण करता है, उसकी ब्रह्महत्या दूर हो जाती है । जो मानव इस परम पवित्र एवं गोपनीय व्रत का कीर्तन करता है, वह सम्पूर्ण मनोरथों के साथ ही इस व्रत के फल को भी पा लेता है । जो मध्याह्न काल में यथाशक्ति इस व्रत का अनुष्ठान करता और लीलावती देवी के साथ हरीत मुनि एवं भगवान नृसिंह का पूजन करता है उसे सनातन मोक्ष की प्राप्ति होतीहै । इतना ही नहीं, वह श्रीनृसिंह भगवान के प्रसाद से सदा मनोवाञ्छित वस्तुओं को प्राप्त करता रहता है। जो हारीत और लीलावती के साथ भगवान के बालरूप का ध्यान करके रात्रि में पूजन करता है, वह नर से नारायण हो जाता है। इस व्रत के प्रभाव से सभी शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है।
नृसिंह जयन्ती पूजा सामग्री:- (Puja Samagree for Narsingh Jayanti)
∗ भगवान नृसिंह की मूर्ति अथवा चित्र माँ लक्ष्मी के साथ (सोने अथवा किसी अन्य धातु या मिट्टी)
∗ हारीत और लीलावती की मूर्ति अथवा चित्र
∗ ताँबे का कलश
∗ कलश ढ़कने के लिये पात्र (ताँबे का)
∗ पंचरत्न (सोना, चांदी, मोती, मूंगा और लाजवर्त)
∗ धूप
∗ दीप
∗ अक्षत
∗ चंदन
∗ घी
∗ नैवेद्य
ऋतुफल
कर्पूर
रूई की बाती
गंगाजल
लोटा
आचमनी
कच्चा दूध- १० ग्राम
दही- - १० ग्राम
शर्करा-- १० ग्राम
मधु(शहद)- - १० ग्राम
घी - १० ग्राम
पान का पत्ता (डंडी सहित)
सुपारी
लौंग
इलायची
गुड़
सिक्के
पुष्प
पुष्पमाला
दान की सामग्री:-
गौ, भूमि, तिल,सुवर्ण, ओढ़ने-बिछौने आदि के सहित चारपाई, सप्तधान्य तथा अन्यान्य वस्तुएँ (सामर्थ्यानुसार)
नृसिंह जयन्ती पूजन विधि:- (Narsingh Bhagawaan puja method)
प्रात:काल उठकर नित्यकर्म कर स्नान कर लें। उसके बाद भगवान के पास जाकर नृसिंह व्रत का संकल्प इस प्रकार करें:
‘भगवन ! आज मैं आपका व्रत करूँगा। इसे निर्विघ्नता पूर्वक पूर्ण कराइये।’
इसके बाद पूरे दिन भगवान का सुमिरन करते हुये बिताये।शाम के वक्त नदी, जलाशय, तालाब या घर पर हीं मिट्टी, गोबर,आँवले का फल और तिल लेकर उनसे सब पापों की शांति के लिये विधिपूर्वक स्नान करे।स्वच्छ वस्त्र पहन कर संध्या तर्पण करें। पूजा गृह को शुद्ध कर लें। पूजन के सभी सामग्री एकत्रित कर लें।आसन पर बैठ जायें।फूलों तथा विभिन्न सामग्रियों से मण्डप तैयार करें। अक्षत से अष्टदल कमल बनाये ।ताँबे के कलश में जल भर कर गंगाजल मिलायें। कलश में पञ्चरत्न डालकर अष्टदल कमल पर स्थापित करें।कलश के ऊपर पात्र में अक्षत भरकर रखे ।पात्र के ऊपर लक्ष्मी माता सहित नृसिंह भगवान को स्थापित करें।
सबसे पहले अपने आप को शुद्ध करने के लिये पवित्रीकरण करें।
पवित्रीकरण
हाथ में जल लेकर मंत्र –उच्चारण के साथ अपने ऊपर जल छिड़कें:-