कामिका एकादशी व्रत विधि एवं कथा - Kamika Ekadashi Vrat Vidhi and Katha in Hindi
श्रावण मास के कृष्ण पक्ष को कामिका एकादशी कहते हैं। इस एकादशी के व्रत तथा पूजन से गंगा, काशी तथा अन्य तीर्थों में स्नान के समान फल प्राप्त होता है।
कामिका एकादशी व्रत महात्म्य:- (Importance of Kamika Ekadashi)
यह एकादशी व्रत सभी प्रकार के तीर्थों मे स्नान के समान फल देती है। इस व्रत के करने तथा श्री हरि की पूजा से गंधर्वों, नागों सहित सभी देवता की पूजा हो जाती है। यह व्रत मनुष्य के पितरों के पाप को भी धो डालता है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती है तथा उसके पितर भी स्वर्ग मे अमृतपान करते है। इस कामिका एकादशी के व्रत से मनुष्य को सभी दान से अधिक फल मिलता है। वनसहित पूरी पृथ्वी के दान के समान इस कामिका एकादशी व्रत का पुण्य है।‘कामिका’ एकादशी का व्रत करनेवाला मनुष्य रात्रि जागरण करके न तो कभी भयंकर यमराज का दर्शन करता है और न कभी दुर्गति में ही पड़ता है।
कामिका एकादशी व्रत पूजन सामग्री:- (Puja Saamagree for Kamika Ekadashi Vrat)
∗ श्री विष्णु जी की मूर्ति
∗ वस्त्र
∗ पुष्प
∗ पुष्पमाला
∗ नारियल
∗ सुपारी
∗ अन्य ऋतुफल
∗ धूप
∗ दीप
∗ घी
∗ पंचामृत (दूध(कच्चा दूध),दही,घी,शहद और शक्कर का मिश्रण)
∗ अक्षत
∗ तुलसी दल
∗ चंदन
∗ मिष्ठान