हरतालिका तीज व्रत विधि एवं कथा - Hartalika Teej Vrat Vidhi and Katha
हरतालिका तीज का व्रत भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होता है । तृतीया तिथि के कारण इस व्रत को तीज के नाम से भी जाना जाता है । सुहागन महिलायें यह व्रत अपने सुहाग के लिये करती है तथा कुंवारी लड़कियाँ मनोवांछित वर को पाने के लिये इस व्रत को करती है । ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से स्त्रियाँ सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर अंत में शिवलोक को जाती है । इस व्रत में महिलायें पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है तथा दूसरे दिन सुर्योदय के बाद पूजा का विसर्जन कर जल ग्रहण करती है।
हरतालिका तीज व्रत पूजन सामग्री:-
बालू या मिट्टी ( गौरी-शंकर बनाने के लिये)
पान का पत्ता
सुपारी
लौंग
इलायची
गुड़
धूप
दीप
अक्षत
चंदन
सिंदूर
फूल
बेल पत्र
आक/मदार के फूल
भांग
धतूरा
दूर्वा
नैवेद्य(घरेलु परम्परा के अनुसार)
लकड़ी का चौकी या पटरा- 1
कपड़ा – 3 ( 2 लाल और एक सफेद या हरा)
फल
गंगा जल
शुद्ध जल
लोटा
कपूर
घी
मिट्टी का दीपक (अखण्ड दीप)
केले के चार पत्ते (मण्डप बनाने के लिये)