भाद्र मास कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी - बहुला चतुर्थी व्रत कथा - Bahula Chauth Vrat Katha Page 3/3

श्रीगणेश जी कहते हैं कि दमयन्ती का यह उत्तम प्रश्न सुनकर शरभंग मुनि ने कहा कि हे दमयन्ती ! मैं तुम्हारे कल्याण की बात बता रहा हूँ, सुनो। इससे घोर संकट का नाश होता है, यह सब कामनाएँ पूर्ण करने वाला एवं शुभदायक है।।
भादों मास की कृष्ण चतुर्थी संकटनाशन कही गयी है। इस तिथि को नर-नारियों को एकदन्त गजानन की पूजा करनी चाहिए। ।
विधिपूर्वक व्रत एवं पूजन करने से ही, हे रानी ! तुम्हारी सम्पूर्ण इच्छाएँ पूरी होंगी। सात महीने के अन्दर ही तुम्हारा पति से मिलन होगा। यह बात मैं निश्चय पूर्वक कहता हूँ। ।
गणेश जी कहते हैं कि शरभंग मुनि का ऐसा आदेश पाकर, दमयन्ती ने भादों की संकटनाशिनी चतुर्थी व्रत प्रारम्भ किया और तभी से बराबर प्रतिमास गणेश जी का पूजन करने लगी। सात ही महीने में, हे राजन! इस उत्तमव्रत को करने से उसे पति, राज्य, पुत्र और पूर्व कालीन वैभव आदि की प्राप्ति हो गई।
श्री कृष्ण जी कहते हैं कि हे पृथा पुत्र युधिष्ठिर ! इसी प्रकार इस व्रत को करने से आपको भी राज्य की प्राप्ति होगी और आपके सभी शत्रुओं का नाश होगा, यह निश्चय है। हे राजन! इस प्रकार मैंने सभी व्रतोंमें उत्तम व्रत का वर्णन किया। यह सब कष्टों का नाश करता हुआ आपके भाग्य की वृद्धि करेगा।

॥ इति बहुला चतुर्थी व्रत कथा ॥