सबसे बड़ी चोट

सुरजपुर गाँव में एक सुनार और एक लुहार की दुकान एक-दूसरे से सटी हुई थी । सुनार के दुकान में जब सोने बनने का काम होता तब बड़ी धीमी आवाज आती लेकिन जब लुहार के दुकान में काम होने पर बड़ी जोर की आवाज आती । एक दिन सुनार के हाथ से थोड़ा सोने का कण छिटक कर लुहार के दुकान में जा गिरा । उस सोनी के कण की मुलाकात लोहे के कण से हुई ।
सोने के कण ने लोहे के कण से कहा- “हम दोनों को एक ही तरह से आग पर तपाकर लोहे के हथौड़े से पीटकर गहने और औजार बनाये जाते हैं ।मैं यह सब चुपचाप सहन कर लेती हूँ लेकिन तुम बहुत शोर मचाते हो । ऐसा क्यूँ ?” तब लोहे ने बहुत उदास और दुखी होकर कहा- “हाँ तुम सही कह रहे हो ।लोहे का हथौड़ा तुम्हारा सगा नहीं होता । वह तो तुम्हारे लिये पराया है ।
तुम क्या जानो अपनों की चोट ही सबसे बड़ी चोट होती है । उसे सहना बहुत कठिन है । ”