फूट

एक बार शैतान के मन में सन्यास लेने की इच्छा हुई । अत: उसने निश्चय किया अपने सभी गुलामों को बेच दे। उसने अपने सभी गुलामों को एक कतार में खड़ा कर दिया :- बुराई, ईर्ष्या, झूठ, निरुत्साह, घमण्ड। शैतान को चाहनेवाले एक-एक कर आते गये और अपनी पसंद के गुलामों को खरीदते गये ।कतार के अंत में बहुत ही कुरुप और भौंडा गुलाम खड़ा था, लेकिन कोई भी खरीददार उसे नहीं पहचान पा रहा था ।उसका मूल्य भी सबसे अधिक था। तभी एक खरीददार ने शैतान से हिम्मत करके उस भौंडे गुलाम की ओर इशारा करके पूछा- “ यह कौन है ? ”
शैतान ने अट्टाहस करते हुए कहा- “ओह यह ! यह मेरा सबसे वफादार गुलाम है । यह मेरा दाहिना हाथ है । इसकी सहायता से मैं मनुष्यों को अपने कब्जे में कर लेता हूँ ; लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं । अभी भी नहीं पहचाना । यह ‘फूट है ! फूट !’ ”