जनवरी माह 2025 के व्रत एवं त्योहर - List of Hindu Festival in January 2025
जनवरी 10, 2025, शुक्रवार - √ " पौष पुत्रदा एकादशी " व्रत विधि एवं कथा ⇒.
जनवरी 10, 2025, शुक्रवार - √ " कुर्म द्वादशी " व्रत विधि एवं कथा ⇒.
जनवरी 11, 2025, शनिवार - √ " रोहिणी " व्रत विधि एवं कथा ⇒.
जनवरी 11, 2025, शनिवार - √ " शनि प्रदोष " व्रत विधि एवं कथा ⇒.
13 जनवरी 2025 - √ " माघ स्नान प्रारम्भ –पौष पूर्णिमा " विधि एवं कथा ⇒.
17 जनवरी 2025 शुक्रवार - √ " सकट चौथ " व्रत विधि एवं कथा ⇒.
14 जनवरी 2025 - √ " मकर संक्रांति " पूजा विधि एवं कथा ⇒.
25 जनवरी 2025 - √ " षट्तिला एकादशी " पूजा विधि एवं कथा ⇒.
/p>27 जनवरी 2025 सोम - √ " सोम प्रदोष " पूजा विधि एवं कथा ⇒.
29 जनवरी 2023 बुधवार - √ " मौनी अमावस्या " पूजा विधि एवं कथा ⇒.
Skanda Sashti January 5, 2025, Sunday - √ " स्कंद षष्ठी " पूजा ⇒.
11 जनवरी 2025 - √ " रोहिणी " व्रत विधि एवं कथा ⇒.
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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
Vakratund Mahaakaay Suryakoti Samprabh |
Nirvighnam Kuru Men Dev Sarvkaaryeshu Sarvadaa ||
संसार में लगभग ३३ कोटि देवी देवता हैं और सभी देवी देवताओं की पूजा की जाती है । इसिलिये हम अलग अलग महीनो में अलग अलग त्यौहार मनाते हैं। दीवाली उन्ही त्योहारों में से एक है । यह हर प्रान्त, राज्य और विदेशों में मनाया जाने वाला विषेश त्यौहार है । "दीवाली" संस्कृत के शब्द "दीपावली" से लिया गया है जिसका अर्थ है "दिए की श्रृंखला" । दीपावली यानि दीपों का त्यौहार । यह पूरे पांच दिनों का त्यौहार है, जो की धनतेरस से शुरू हो कर भाई दूज तक मनाया जाता हैं।
राम का अयोध्या लौटना:-(Returning of Lord Ram to Ayodhya)
कार्तिक अमावस्या के दिन ही भगवान श्री रामचन्द्र जी अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ चौदह वर्षों के वनवास और रावण का वध कर के अयोध्या लौटे थे. उनके आगमन की खुशी में पूरे अयोध्या वासियों ने पूरे देश को मिटटी के दीयों से सजाया था.
लक्ष्मी माता के जन्म और विवाह के उपलक्ष्य में :-(On the occasion of birth and marriage of Goddess Maa Lakshmi)
देवताओं और असुरों के द्वारा समुद्र मंथन के क्रम में माँ लक्ष्मी समुद्र से इसी दिन अवतरित हुई थी. उसी दिन माँ लक्ष्मी का विवाह भगवान विष्णु के साथ संपन्न हुआ था और सभी जगह रोशनी की गयी थी. अतः माँ लक्ष्मी का पूजन और रोशनी करना तभी से प्रचलित है.
माता श्री लक्ष्मी जी की कहानी:-(The story of Goddess Maa Lakshmi)
प्राचीन समय में एक नगर में एक साहूकार था उसकी एक लड़की थी । वह नित्य पीपल के पेड़ (पीपल देवता) की पूजा करती थी । उस लड़की ने देखा की श्री महालक्ष्मी जी उसी पीपल के पेड़ से निकला करती हैं । एक दिन लक्ष्मी जी ने उस लड़की से बोला की मैं तुझ पर बहुत पर प्रसन्न हूँ, इसलिए तू मेरी सहेली बन जा । लड़की बोली क्षमा कीजिये मैं अपने माता पिता से पूछ कर बताउंगी । इसके बाद वह अपने माता पिता की आज्ञा प्राप्त कर माता लक्ष्मी की सहेली बन गयी । माता लक्ष्मी उसे बड़ा प्रेम करती थी ।
एक दिन महालक्ष्मी ने उसे भोजन के लिए निमंत्रण दिया । जब लड़की भोजन के लिए गयी तो लक्ष्मी जी ने उस लड़की को सोने चांदी के बर्तनों में खाना खिलाया और सोने की चौकी पर बैठाया और दिव्य दुशाला उसे ओढ़ने को दिया । तब लक्ष्मी जी ने कहा की मैं भी कल तुम्हारे यहां भोजन के लिए आउंगी । लड़की ने स्वीकार कर अपने माता पिता से मिलकर सब हाल सुनाया तो उसके माता पिता सुनकर बहुत प्रसन्न हुए । परन्तु लड़की उदास थी तो उसके माता पिता ने पूछा की क्या हुआ तब लड़की ने कहा की माता लक्ष्मी जी का वैभव बहुत बड़ा है, मैं उन्हें कैसे संतुष्ट करुँगी ।
लड़की के पिता ने कहा की बेटी पृथ्वी को गोबर से लीप कर जैसा भी बन पाये रुखा सूखा उन्हें श्रद्धा और प्रेम से खिला देना , यह कहते ही अचानक एक चील ऊपर मंडराती हुई किसी रानी का नौलखा हार डाल गयी यह देख कर लड़की बहुत प्रसन्न हुई । लड़की ने हार को थाल में रख कर दुशाले से ढ़क दिया । तब तक माता लक्ष्मी और श्री गणेश जी भी वंहा आ गए तो लड़की ने उन्हें नौलखा हार लेने को कहा तो माता लक्ष्मी जी ने कहा ये राजा रानी के लिए हैं हमें क्या जरुरत है लड़की ने प्रार्थना किया तो गणेश लक्ष्मी ने भोजन किया और साहूकार का घर सुख सम्पति से भर गया । जिस प्रकार साहूकार का घर सुख सम्पति से भर दिए उसी प्रकार उसी तरह सभी के घरों में सुख सम्पति प्रदान करें ।