ऋषि पंचमी उद्यापन विधि | Rishi Panchami Udyapan Vidhi

फल:-

किसी पात्र में ऋतुफल लेकर निम्न मंत्र के उच्चारण द्वारा सप्तऋषियों को अर्पित करें:-
नमो वेदविद: श्रेष्ठा: ऋषय: सुर्य सन्निभा:।
गृह्णन्तु फलमिदं तुष्ठा: स्यु: ऋषिसत्तमा:॥

दक्षिणा:-

सामर्थ्यानुसार दक्षिणा लेकर निम्न मंत्र के उच्चारण द्वारा सप्तऋषियों को अर्पित करें:-
हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसो:।
अनन्ता पुण्य फलदमत: शान्ति प्रयच्छ मे।

प्रदक्षिणा:-

अपने स्थान पर खड़े होकर बायें से दाहिने ओर तीन बार घूमते हुये निम्न मंत्र के उच्चारण द्वारा प्रदक्षिणा करे:-
यानि कानि च पापानि जन्मान्तर कृतानि च।
तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणा पदे पदे॥

प्रार्थना:-

दोनों हाथ जोड़कर ऋषियों से निम्न मंत्र के उच्चारण द्वारा प्रार्थना करें:-
नमोऽस्तु ऋषिवृंदेभ्यो देवर्षिभ्यो नमो नम:।
सर्वपाप हरेभ्यो हि वेद् विद्भ्यो नमो नम:॥
एते सप्तर्षय: सर्वे भक्त्या संपूजिता: मया।
सर्वपापं व्यपोहंतु ज्ञानतोऽज्ञानत: कृतम्॥
प्रार्थना कर वस्त्राभूषण ,फल,घी ,दक्षिणा सहित ब्राह्मण को देकर प्रार्थना करें:-
वायनं फल सन्युक्तं सघृतं दक्षिणान्वितम्।
द्विजवर्याय दास्यामि व्रत सम्पूर्ति हेतवे॥
भवंत: प्रतिगृह्णन्तु ज्योतीरूपा स्तपोधना:।
उभयोस्तारका: सन्तु वायनस्य प्रसादत:॥
न्यूनातिरिक्त कर्माणि मया यानिकृतानि च्।
क्षमध्वंतानि सर्वाणि यूयंसर्वे तपोधना:॥