रविवार व्रत कथा-बुढ़िया माँ की कहानी

प्राचीन काल में किसी नगर में एक बुढ़िया रहती थी। वह प्रत्येक रविवार को सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन को गोबर से लीपकर स्वच्छ करती थी। उसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद भोजन तैयार कर भगवान को भोग लगाकर ही स्वयं भोजन करती थी।
भगवान सूर्यदेव की कृपा से उसे किसी प्रकार की चिन्ता व कष्ट नहीं था। धीरे-धीरे उसका घर धन-धान्य से भर रहा था।उस बुढ़िया को सुखी होते देख उसकी पड़ोसन उससे बुरी तरह जलने लगी। बुढ़िया ने कोई गाय नहीं पाल रखी थी। अतः रविवार के दिन घर लीपने के लिए वह अपनी पड़ोसन के आंगन में बंधी गाय का गोबर लाती थी।

Story of Sunday fastा-Story of old mother

In ancient times, there was an old lady in a city. She used to wake up every Sunday morning take bath and clean the courtyard with dung. After worshiping the Sun God, he used to prepare food and offer food to the God Sun and then eat herself.
She did not have any kind of worry and trouble with the grace of God Suryadev. Gradually, her house was filling with money. Her neighbor started burning badly to see the happiness of that old lady. The old lady did not keep any cow. So she used to bring cow dung from her neighborhood courtyard.