सोमवती अमावस्या उद्यापन विधि - Somvati Amavasya Udyapan Vidhi Page 3/8
ध्यान :-
दोनों हाथ जोड़कर भगवान विष्णु का ध्यान करें :-
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं ।
विश्वधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभागम्॥
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं ।
वन्देविष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
आवाहन:-
हाथ में अक्षत तथा पुष्प लेकर निम्न मंत्र के दवारा भगवान विष्णु का आवाहन करें :-
विश्वव्यापक विश्वेशं कृपया दीन वत्सल ।
मयोपपादितां पूजां गृहाणेमां हि माधव ॥
अक्षत तथा पुष्प भगवान विष्णु पर अर्पित करें।
आसन:-
हाथ में मौली लेकर मंत्र उच्चारण के साथ आसन समर्पित करें:-
सुर्य कोटि प्रभानाथ सर्वव्यापिंन् रमापते ।
आसनं कल्पितंभक्त्या गृहाण पुरुषोत्तम ॥
पाद्य:-
आचमनी से जल लेकर मंत्र उच्चारण के साथ पाद्य के लिये जल समर्पित करें:-
नारायणं जगद्व्यापिन् जगदानन्द कारक ।
विष्णुक्रान्तादि सन्युक्तं गृहाणपाद्यं मयार्पितम्॥
अर्घ्य:-
आचमनी से जल लेकर मंत्र उच्चारण के साथ अर्घ्य के लिये जल समर्पित करें:-
फलगंधाक्षतैर्युक्तं पुष्पपूंगसमन्वितम्।
अर्घ्यं गृहाण भगवन् विष्णो सर्वफल्प्रद ॥