सोलह सोमवार व्रत उद्यापन विधि:-(Solah Somvar Udyapan Vidhi) Page 2/7
आचमन:-
अब आचमन करें
पुष्प से एक –एक करके तीन बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए
ॐ केशवाय नमः
ॐ नारायणाय नमः
ॐ वासुदेवाय नमः
फिर ॐ हृषिकेशाय नमः कहते हुए हाथों को खोलें और अंगूठे के मूल से होंठों को पोंछकर हाथों को धो लें।
इसके द्वारा साधक पूजा के लिये पवित्र हो जाता है।
गणेश पूजन:-
इसके बाद सबसे पहले गणेश जी का पूजन पंचोपचार विधि (धूप, दीप, गंध, पूष्प और नैवेद्य) से करें। चौकी के पास हीं किसी पात्र में गणेश जी के विग्रह को रखकर पूजन करें। यदि गणेश जी की मूर्ति उपलब्ध न हो तो सुपारी पर मौली लपेट कर गणेश जी बनायें।
संकल्प :-
हाथ में अक्षत (चावल), पुष्प, जल ,पान का पत्ता, सुपारी और कुछ सिक्के हाथ में लेकर मंत्र-उच्चारण के साथ संकल्प करें:-
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः। श्री मद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गतब्रह्मावर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौद्धावतारे वर्तमाने यथानामसंवत्सरे अमुकामने महामांगल्यप्रदे मासानाम् उत्तमे अमुकमासे( जिस माह में उद्यापन कर रहे हों,उसका नाम) अमुकपक्षे ( जिस पक्ष में उद्यापन कर रहे हों,उसका नाम) अमुकतिथौ ( जिस तिथि में उद्यापन कर रहे हों,उसका नाम) सोमवासरान्वितायाम् अमुकनक्षत्रे (उद्यापन के दिन, जिस नक्षत्र में सुर्य हो उसका नाम) अमुकराशिस्थिते सूर्ये(उद्यापन के दिन, जिस राशिमें सुर्य हो उसका नाम) अमुकामुकराशिस्थितेषु (उद्यापन के दिन, जिस –जिस राशि में चंद्र,मंगल,बुध,गुरु शुक,शनि हो उसका नाम) चन्द्रभौमबुधगुरुशुक्रशनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभ पुण्यतिथौ सकलशास्त्र श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलप्राप्तिकामः अमुकगोत्रोत्पन्नः ( अपने गोत्र का नाम) अमुक नाम( अपना नाम) अहं सोलह सोमवार व्रत उद्यापन करिष्ये ।
हाथ की सभी सामग्री को शिव-पार्वती जी के पास अर्पित कर दें।
ध्यान: -
हाथ में पुष्प लेकर भगवान शिव का ध्यान करें:-
ध्याये नित्यं महेशरजतगिरिनिभि चारुचन्द्रावतंसं।
रत्नाकल्पोज्वलाङ्गं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्॥
पद्मासीनं समन्तास्तुतममरगणैर्व्याघ्र कृत्तिं वसानं ।
विश्वाद्यं विश्ववन्द्यं निखिलभयहरंपञ्चवक्त्रंत्रिनेत्रम्॥
आवाहन:-
अब हाथ में अक्षत तथा फूल लेकर भगवान शिव और पार्वती जी का आवाहन निम्न मंत्र के द्वारा करें:-
ऊँ शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्।
उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्॥
हाथ की सभी सामग्री को शिव-पार्वती जी के पास अर्पित कर दें।