रविवार व्रत का महत्त्व - Importance of Sunday Fast
इस दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा का विधान है।सुर्य-व्रत विधानपूर्वक करने से मनुष्य को अभीष्ट की प्राप्ति होती है। नारद पुराण में रविवार व्रत को सम्पूर्ण पापों को नाश करने वाला, आरोग्यदायक और अत्यधिक शुभ फल देने वाला माना जाता है।भगवान सूर्यदेव के प्रकोप से मनुष्य नाना प्रकार के रोगों से ग्रस्त एवं पीड़ीत होता है।अत: प्रत्येक नर-नारी को रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा एवं प्रतिदिन प्रात:काल सूर्य-नमस्कार करना चाहिए।हमारे देश के सम्पूर्ण उत्तर-भारत में कार्तिक शुक्ल पक्ष के छठी तिथि को “सूर्यषष्ठी” या “ छठ” व्रत का पर्व मनाया जाता है।इस दिन अनेक नर-नारियाँ व्रत रहकर अर्घ्य द्वारा सूर्य की पूजा करती है।
God Sun worship on sunday. A person achieves the desired wishes by observing the sunday fast. Accordin to Narada Puran, the Sunday fast is considered to be the destroyer of all sins, healer of disease and gives very auspicious results. Human beings suffer from various types of diseases and suffer due to the wrath of God Suryadev. Therefore, every male and female should worship Suryadev on Sunday and greet Surya Namaskar every morning. On the sixth day of Kartik Shukla Paksha, the festival of "Suryashthi" or "Chhath" fast is celebrated in the entire north-India of our country. Many men and women observe fast and worship the sun through Arghya on this day.
रविवार व्रत का विधान:-Sunday Fast Method
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष से सूर्यनारायण का व्रत प्रारम्भ होता है।शुक्ल पक्ष में जिस दिन पहला रविवार पड़े, उसी दिन से व्रत आरम्भ करना चाहिए।व्रतकर्ता को दिनभर निराहार रहकर सूर्यास्त होने से पूर्व सायंकाल में ,सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए।पूजन में कनेर (कनइल) का फूल,लाल चंदन,लाल वस्त्र,गुलाल और गुड़ आदि वस्तुएँ लेनी चाहिए।घर को स्वच्छ जल से साफकर,पूजाघर या पूजास्थान में ताम्रनिर्मित भगवान सूर्य की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर पूजन करे ।पूजन के अंत में घी मिले गुड़ से हवन करें।व्रत के दिन नमक,खट्टा भोजन या खट्टाई,तेल आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
Suryanarayana fast starts from the Shukla Paksha(darker fortnight) of Ashwin month. The fast should be started from the first Sunday of Shukla Paksha(darker fortnight). Devotee should keep fast whole day and worship Suryadev in the evening before sunset. Kaner flower, red sandalwood, red cloth, gulal and jaggery etc. should be used during worship.Clean the house & worship place. Perform pooja in the worship house or worship place by installing the idol or picture of God Sun. Do havan with ghee mixed with jaggery at the end of the worship. Salt, sour food or sourness, oil etc. should not be used on the worship day.
इसी प्रकार निरंतर पाँच वर्षों तक व्रत रहकर सूर्य की पूजा करनी चाहिए| व्रतकाल में प्रति वर्ष एक-एक धान्य/अनाज का परित्याग करे, जैसे- प्रथम वर्ष-जौ, द्वीतिय वर्ष में गेहूँ, तृतीय में चना, चतुर्थ में तिल और पंचम मे उड़द ग्रहण नहीं करना चाहिए।व्रत की समाप्ति पर ये हीं परित्यक्त अनाज 12 सेर के परिमाण में ब्राह्मण को दान दें। अंत में , 15 ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें वस्त्र तथा दक्षिणा दें।
Similarly, one should worship the Sun for five years continuously. Abandon/leave one grain every year during the fast period. Such as first year-barley, wheat in the second year, gram in third, sesame in fourth and urad in fifth should not be taken. At the end of the fast, donate these discarded grains to the Brahmin in a quantity of 12 kg. Finally, feed 15 Brahmins and give them clothes and Dakshina.
पूजा की सामग्री:- Material for worship (pujan samagree)
∗चावल/अक्षत ( लाल रंग से रंगे हुए)( Red color rice/akshat)
∗सुर्य भगवान की मूर्ति (कांस्य )/Idol of Sun made up with copper
∗जल /Water
∗धूप/Dhoop/incense
∗दीप/Deep/lamp
∗गंगाजल/gangajal/holy water
∗पूजन में कनेर (कनइल) का फूल/kaner flower
∗लाल चंदन/Red sandalwood
∗गुड़/molasses
∗लाल वस्त्र/red cloth
∗रोली/Roli
∗गुलाल/Gulal
∗नैवेद्य/sweets
∗जल पात्र /water pot/lota
रविवार व्रत विधि
रविवार के दिन प्रात:काल उठकर नित्य-क्रम कर स्नान कर लें। लाल वस्त्र धारण करें। पूजा गृह को स्वच्छ कर शुद्ध कर लें। सभी सामग्री एकत्रित कर लें। सुर्य भगवान की प्रतिमा के सामने आसन पर बैठ जायें।
Wake up early in the morning.take bath and wear red cloth.clean & purify worhsip room.sit on mat in front of sun idol.
संकल्प :-
किसी भी पूजा या व्रत को आरम्भ करने के लिये सर्व प्रथम संकल्प करना चाहिये। व्रत के पहले दिन संकल्प किया जाता है। उसके बाद आप नियमित पूजा और वत करें। सबसे पहले हाथ में जल, अक्षत,पान का पत्ता, सुपारी और कुछ सिक्के लेकर निम्न मंत्र के साथ संकल्प करें: -
One should take oath on first day of fast before worship.After that do regular worship.first of all take water,akshat,betel leaf,some coins in right hand and take oath with following mantra:-
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः। श्री मद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गतब्रह्मावर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौद्धावतारे वर्तमाने यथानामसंवत्सरे अमुकामने महामांगल्यप्रदे मासानाम् उत्तमे अमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरान्वितायाम् अमुकनक्षत्रे अमुकराशिस्थिते सूर्ये अमुकामुकराशिस्थितेषु चन्द्रभौमबुधगुरुशुक्रशनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभ पुण्यतिथौ सकलशास्त्र श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलप्राप्तिकामः अमुकगोत्रोत्पन्नः अमुक नाम अहं अमुक कार्यसिद्धियार्थ रविवार व्रत प्रारम्भ करिष्ये ।
सभी वस्तुएँ सुर्य भगवान के पास छोड़ दें।
leave all materials near sun god.
सबसे पहले सुर्य देव को जल समर्पित करें।
offer water to god sun.
जल के बाद लाल वस्त्र या लाल मौली वस्त्र के रूप में समर्पित करें।
offer red cloth or mauli after water.
लाल चंदन से भगवान को तिलक लगायें एवं तिलक पर अक्षत लगायें।
apply tilak with red sandalwood and put some akshat over tilak.
लाल पुष्प एवं पुष्पमाला अर्पित करें।
offer red flower and garland.
गुलाल अर्पित करें ।
offer gulal.
धूप अर्पित कर,दीप दिखायें।
offer dhoop/incense and light lamp.
भगवान को भोग के रूप में गुड़ तथा नैवेद्य अर्पित करें।
offer sweets and molasses as a naivedya to God Sun.
इसके बाद रविवार व्रत कथा को पढ़े अथवा सुने।
after that read or listen the story of sunday fast.
पूजन के अंत में घी मिले गुड़ से हवन करें उसके बाद सुर्यदेव एवं रविवार की आरती करें। उपस्थित जनों को आरती दें और स्वयं भी आरती लें। प्रसाद के साथ गुड़ सभी उपस्थित जनों में वितरित करें। । स्वयं के लिये थोड़ा रख लें। शाम को व्रत खोलते समय सबसे पहले प्रसाद ग्रहण करें। उसके बाद भोजन करें।
do havan at the end of worship with molasse & ghee. do aarti. distribute molasse and sweets to all present people.keep some prasad for yourself too.take that prasad at the time of open the fast.after that take food.
सूर्य-पूजा की मासिक विधि - Method of monthly Sun worship
∗चैत्र-इस महीने में पूड़ी,हलुवा आदि का नैवैद्य,मिष्ठान्न का दान एवं खीर का भोजन करना उत्तम है।
∗Chaitra -It is best to donate Naivaidya of Pudi, Halwa/pudding,sweets etc., and eat pious/kheer(rice cooked with milk and sugar).
∗वैशाख- इस मास मे उड़द से बनी हुई इमरती चढ़ाना और दान देना चाहिए।भोजन में दूध का सेवन सर्वोत्तम है।
∗Vaishakh- Offer & donate sweets made up with black gram/urad. It is best to eat milk as food.
∗ज्येष्ठ- जेठ मास में दही,सत्तु आदि का अर्पण,एवं दही,चावल आदि का दान तथा भोजन करना चाहिए।
∗Jyestha-Offer curd, gram flour/sattu etc, Donate & eat cued and rice during Jyestha month.
∗आषाढ़- इस महीने में दही-चिवड़ा का नैवैद्य,फलों का दान एवं दही-चिवड़ा भोजन करना चाहिए।
∗Aashadh-One should offer & eat curd-poha and donate fruits.
∗श्रावण – सावन के महीने में लड्डु-पूड़ी का भोग सूर्यदेव को लगाना चाहिए। ब्राह्मणों को लड्डु का दान एवं भोजन में मालपुआ श्रेष्ठ है।
∗Shravan- Laddu-pudi should be offered to Surya Dev in shavan month.Donate laddu to Brahmins and eat pancake (malpua).
∗भाद्रपद –इस महीने में घी,चावल,चीनी आदि का नैवैद्य,गुलगुला का दान एवं भोजन करना उचित है।
∗Bhadrapada - It is advisable to offer ghee, rice, sugar etc. as naivedya and donate & eat dumpling.pudding made up with wheat flour,ghee and sugar .
∗आश्विन-इस मास में रविवार के दिन चने से बने लड्डु का भोग लगाना,खीर का दआन एवं लड्डु ही भोजन में ग्रहण करना चाहिए।
∗Ashwin - laddus made of chickpeas/gram should be offer as naivedya & taken as food in this month and kheer should be donated on Sunday
∗कार्तिक –इस महीने में अनेक पकवानों का नैवैद्य,गोदान एवं कलाकंद का सेवन करना श्रेष्ठ माना गया है।
∗Karthik - It is considered best to offer different types of Naivedya, donate cow and eat kalakand in this month.
∗मार्गशीर्ष –अगहन मास के रविवार के दिन मीठी खिचड़ी( मीठी भात ) का भोग लगाना,गुड,तिल आदि का दान करना एवं तिल के लड्डु का भोजन करना सर्वश्रेष्ठ है।
∗Margashirsha - It is best to offer sweet khichdi (sweet rice), donate molasses, sesame etc. and eat sesame laddus on the Sunday of Aghan month.
∗पौष –पूस के महीने में चावल और मूँग चढ़ाकर सूर्यदेव की पूजा करे।दान में घी एवं भोजन में खीर पूड़ी लेना चाहिए।
∗Paush- Worship the sun god by offering rice and green gram in Paush month. Ghee should be donated and kheer puri should be taken as food.
∗माघ – इस महीने में चूरमा का भोग,मलाई,रबड़ी आदि का दान एवं उसी पदार्थ का भोजन भी करे।
Magha – Offer & donate Churma,milk cream, Rabri etc. and should also eatsame substance as food in this month.
∗फाल्गुन – इस महीने में गुझिया,मठरी आदि का भोग ,खाजा आदि मिठाई का दान एवं बूंदी के लड्डु का भोजन करना उचित है।
∗Falgun - It is advisable to donate sweets like Gujhiya, Mathri etc.,donate Khaja etc. sweets and eat Bundi ladoos as food in this month.
दिये हुए विधि से जो लोग सूर्यदेव की पूजा करते है,उन लोगों पर भगवान् सूर्यदेव की महान कृपा होती है।
Those who worship Suryadev ,by the method given, get great blessings of God Suryadev.