रमा एकादशी व्रत कथा प्रारम्भ (Page 1/6)

युधिष्ठिर ने पूछा- “ जनार्दन ! मुझपर आपका स्नेह है; अत: कृपा करके बताइये। कार्तिक के कृष्ण पक्ष में कौन-सी एकादशी होती है ? ”
भगवान श्री कृष्ण बोले- “ राजन! कार्तिक के कृष्ण पक्ष में जो परम कल्याणमयी एकादशी होती है, वह ‘रमा’ के नाम से विख्यात है । ‘रमा’ परम उत्तम है और बड़े-बड़े पापों को हरनेवाली है।”
पूर्वकाल में मुचुकुन्द नाम से विख्यात एक राजा हो चुके हैं, जो भगवान श्रीविष्णु के परम भक्त और सत्यप्रतिज्ञ थे। निष्कण्टक राज्य का शासन करते हुए उस राजा के यहाँ नदियों में श्रेष्ठ चन्द्रभागा कन्या के रूप में उत्पन्न हुई । राजा ने चन्द्रसेन कुमार शोभन के साथ उसका विवाह कर दिया।
एक समय की बात है , शोभन अपने ससुर के घर आये । उनके यहाँ दशमी का दिन आने पर समूचे नगर में ढ़िंढ़ोरा पिटवाया जाता था कि एकादशी के दिन कोई भी भोजन न करे । यह डंके की घोषणा सुनकर शोभन ने अपनी प्यारी पत्नी चन्द्रभागा से कहा - “प्रिये ! अब मुझे इस समय क्या करना चाहिये, इसकी शिक्षा दो।”