पुत्रदा एकादशी व्रत कथा (Page 1/4)
युधिष्ठिर बोले-“ आपने शुभकारिणी “सफला” एकादशी का वर्णन किया ।
अब कृपा करके शुक्लपक्ष की एकादशी का महत्व बतलाइये। उसका क्या नाम है? कौन-सी विधि है? तथा उसमें किस देवता का पूजन किया जाता है? ”
भगवान् श्री कृष्ण ने कहा - “राजन् ! पौष के शुक्ल पक्ष की जो एकादशी है; उसे बतलाता हूँ, सुनो।
महाराज ! संसार के हित की इच्छा से मैं इसका वर्णन करता हूँ। राजन! पूर्वोक्त विधि से ही यत्नपूर्वक इसका व्रत करना चाहिये।
इसका नाम ‘पुत्रदा’ एकादशी है। यह सब पापों को हरनेवाली उत्तम तिथि है। समस्त कामनाओं तथा सिद्धियों के दाता भगवान नारायण इस तिथि के अधिदेवता हैं। चराचर प्राणियों सहित समस्त त्रिलोक में इससे बढ़कर कोई दूसरी तिथि नहीं है।”