पौष संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा Page 1/4
पार्वती जी ने पूछा- हे पुत्र! पौष में किस गणेश की पूजा किस तरह से करनी चाहिए और उस दिन क्या भोजन करना चाहिए ? उसे आप संक्षेप में बतलाइए।
श्री गणेश जी ने कहा – हे महादेवी! पौष मास की चतुर्थी विघ्नविनाशिनी होती है। उसमें लम्बोदर नामक गणेश की पूजा करके भोजन के रूप में केवल गोमूत्र ही पीना चाहिए । व्रती को पूर्वोक्त विधि से पूजन करना चाहिए अर्थात् दिन भर शान्त भाव से निराहर रहकर व्रत करें, दिन में न सोयें, ब्रह्मचर्य का पालन करें। रात्रि में पूजन के बाद ब्राह्मण भोजन करावें । दुग्धनिर्मित खीर में शुद्ध घी मिलाकर गणपति मंत्र से हवन करें तो वह शासक को भी अपने वशीभूत कर सकता है। इस सम्बन्ध में हम आपको एक प्राचीन कथा सुनाते हैं।
एक बार रावण ने सभी देवताओं को जीतकर मदान्ध हो संध्या कर रहे बालि को पीछे से जाकर पकड़ लिया।