निर्जला एकादशी व्रत कथा प्रारम्भ (Page 1/6)
युधिष्ठिरने कहा- “जनार्दन ! अब आप कृपा करके ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष में जो एकादशी हो उसका वर्णन किजिये।”
भगवान श्री कृष्ण बोले- “राजन! इसका वर्णन परम धर्मात्मा सत्यवतीनंदन व्यास जी करेंगे; क्योंकि ये शास्त्रों के तत्वज्ञ और वेद-वेदाङ्गों के पारंगत विद्वान हैं। ”
तब वेदव्यास जी कहने लगे- “एकादशी के दिन भोजन न करें। द्वादशी नित्यकर्म समाप्त कर स्नान आदि से पवित्र हो फूलों से भगवान केशव की पूजा करें। इसके पश्चात् पहले ब्राह्मणों को भोजन देकर अंत में स्वयं भोजन करें। राजन! जनशौच और मरणशौच में भी एकादशी को भोजन नहीं करना चाहिये।”
यह सुनकर भीमसेन बोले- “परम बुद्धिमान पितामह! मेरी उत्तम बात सुनिये। राजा युधिष्ठिर, माता कुन्ती, द्रौपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव- ये एकादशी को कभी भोजन नहीं करते और मुझसे भी हमेशा यही कहते हैं कि ‘भीमसेन! तुम भी एकादशी को न खाया करो।’ किन्तु मैं इन लोगों से यही कहा दिया करता हूँ कि ‘मुझसे भूख नहीं सही जायगी।’