आश्विन (क्वार) गणेश चतुर्थी व्रत - (संकठा चतुर्थी)

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी को संकठा चतुर्थी भी कहते हैं । इस दिन सिर्फ फलाहार करें । हल्दी और दूब का हवन करे । यह सब संकटों को दूर करने वाला और मनोकामना सिद्ध करने वाला है। इस दिन क्रोध, घमण्ड, पाखण्ड न करें। सन्यम से रहें।

आश्विन (क्वार) गणेश चतुर्थी व्रत पूजन सामग्री:-

∗ गणेश जी की प्रतिमा, ∗ धूप, ∗ दीप, ∗ नैवेद्य (मोदक तथा अन्य ऋतुफल), ∗ अक्षत, ∗ फूल, ∗ कलश, ∗ चंदन, ∗ केसरिया, ∗ रोली, ∗ कपूर, ∗ दुर्वा, ∗ पंचमेवा, ∗ गंगाजल, ∗ वस्त्र (2- कलश और गणेश जी के लिये), ∗ अक्षत, ∗ घी, ∗ पान, ∗ सुपारी, ∗ लौंग, ∗ इलायची, ∗ गुड़, ∗ पंचामृत (कच्चा दूध, दही, शहद, शर्करा, घी)

हवन के लिये:-

∗दूब , ∗हल्दी

आश्विन (क्वार) गणेश चतुर्थी व्रत पूजा विधि:-

प्रात: काल उठकर नित्य कर्म से निवृत हो स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। श्री गणेश जी का पूजन पंचोपचार (धूप,दीप, नैवेद्य,अक्षत,फूल) विधि से करें। इसके बाद हाथ में जल तथा दूर्वा लेकर मन-ही-मन श्री गणेश का ध्यान करते हुये व्रत का संकल्प करें।
संध्या होने पर दुबारा स्नान कर स्वच्छ हो जायें। श्री गणेश जी के सामने सभी पूजन सामग्री के साथ बैठ जायें। विधि-विधान से गणेश जी का पूजन करें। वस्त्र अर्पित करें। नैवेद्य के रूप में लड्डू अर्पित करें। चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा की पूजा कर अर्घ्य अर्पण करें। उसके बाद गणेश चतुर्थी की कथा सुने अथवा सुनाये। दूब तथा हल्दी से हवन करें। तत्पश्चात् गणेश जी की आरती करें। भोजन के रूप में केवल फलाहार करें।