अनंत चतुर्दशी व्रत कथा - (Anant Chaturdashi Vrat Story) Page 1/20

सूत जी ने सौनक आदि ऋषियों से कहा कि, पूर्व समय में माँ गंगा के तट पर धर्मराज युधिष्ठिर महाराज ने जरासंघ के वध के लिये राजसूय यज्ञ को आरम्भ किया॥1॥
युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्णचन्द्र के सहित भीमसेन, अर्जुन आदि भाईयों के साथ अनेक रत्नों से शोभित मोती जड़ी हुई, स्वर्ग के तुल्य बड़ी विशाल यज्ञशाला बनवाई और उसके लिए सब राजाओं को अनेक प्रकार से जीतकर ले आये॥2-3॥
एक समय गान्धारी और राजा धृतराष्ट्र का पुत्र, जो दुर्योधन नाम से विख्यात था, वह उस यज्ञशाला में आकर प्रांगण में जल की प्रतिमा देखकर , वस्त्र को ऊँचा कर उस जगह धीरे-धीरे चलने लगा ॥4-5॥
यह देखकर द्रौपदी आदि श्रेष्ठ स्त्रियाँ हँसने लगीं और दुर्योधन आगे जल को भूमि जानकर उसमें गिर गया॥6॥