अक्षय तृतीया पूजा विधि(Akshaya Tritiya Puja Vidhi)
अब विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करें। धूप,दीप, पुष्प अर्पित करें। नैवेद्य के रूप में मिष्ठान के साथ जौ,गेहूँ के दाने, सत्तू, चने की दाल,अक्ष त इत्यादि अर्पित करें।साथ में तुलसी दल भी अर्पित करें।विष्णु भगवान के “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:” मंत्र का 108 बार जाप करें अथवा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। अक्षय तृतीया की कथा एवं महात्म्य को सुने अथवा सुनायें। इसके बाद आरती करें। आरती के बाद प्रभु को आरती दें। तत्पश्चात सभी उपस्थित जन को आरती दें एवं स्वयं भी लें ।
दान:-
यह तिथि दान के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस तिथि को किया हुआ दान अक्षय होता है। इस तिथि को गन्ने के रस से बने हुये मिष्ठान,दूध से बने हुये खाद्य पदार्थ,दही,चावल,खीरा,ककड़ी,खरबूज,लड्डू , नमक, घी, पंखा,वस्त्र, जूता,सत्तू जल से भरा हुआ घड़ा इत्यादि ब्राह्मणों को दान देना चाहिये।
हाथ में जल तथा पुष्प लेकर निम्न मंत्र के साथ जल से भरे हुये घड़े को ब्राह्मण को दान में दें: