चैत्र मास संकष्टी चतुर्थी -chaitra sankashti chaturthi

प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को गणेश जी का पूजन किया जाता है। शुक्ल-पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहलाती है। यह व्रत करने से सभी प्रकार की बाधायें दूर होती है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी काम बिना किसी विघ्न बाधा के पूरे हो जाते हैं। भक्तों को गणेश जी की कृपा से सारे सुख प्राप्त होते हैं ।
चैत्र कृष्ण पक्ष चतुर्थी के दिन ‘विकट’ नामक गणेश की पूजा करनी चाहिए। यह व्रत संकटनाशक है। इस दिन शुद्ध घी के साथ बिजौरे नीम्बू का हवन करने से बांझ स्त्रियां भी पुत्रवती होती हैं।

चैत्र मास संकष्टी चतुर्थी पूजन सामग्री
Chaitra Sankashti Chaturthi Worship Materials

गणेश जी की प्रतिमा
धूप
दीप
नैवेद्य(लड्डु तथा अन्य ऋतुफल)
अक्षत
फूल
कलश
चंदन केसरिया
रोली
कपूर
दुर्वा
पंचमेवा
गंगाजल
वस्त्र( 2 – एक कलश के लिये- एक गणेश जी के लिये)
अक्षत
घी
पान
सुपारी
लौंग
इलायची
गुड़
पंचामृत (कच्चा दूध,दही,शहद,शर्करा,घी)

हवन के लिये:-

बिजौरा नीम्बू
घी

चैत्र मास संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि
Chaitra Sankashti Chaturthi Worship Method

सुबह उठकर नित्य कर्म से निवृत हो, स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। श्री गणेश जी का पूजन पंचोपचार (धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, फूल) विधि से करें। इसके बाद हाथ में जल तथा दूर्वा लेकर मन-ही-मन श्री गणेश का ध्यान करते हुये निम्न मंत्र के द्वारा व्रत का संकल्प करें:-
मम सर्वकर्मसिद्धये विकटाय पूजनमहं करिष्ये"
कलश में दूर्वा, सिक्के, साबुत हल्दी रखें तथा जल भरकर उसमें थोड़ा गंगा जल मिलायें। कलश को लाल कपड़े से बाँध दें। कलश पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। श्री गणेशजी के मंत्रों का पूरे दिन स्मरण करें। शाम को पुन: स्नान कर शुद्ध हो जायें। श्री गणेश जी के सामने बैठ जायें। विधि-विधान से गणेश जी का पूजन करें। वस्त्र अर्पित करें। नैवेद्य के रूप में लड्डु अर्पित करें। चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा की पूजा कर अर्घ्य अर्पण करें। उसके बाद गणेश चतुर्थी की कथा सुने अथवा सुनाये। घी तथा बिजौरा नीम्बू से हवन करें। तत्पश्चात् गणेश जी की आरती करें। उपस्थित लोगों में लड्डु प्रसाद के रूप में बाँट दें और शेष अगले दिन ब्राह्मण को दान में दे। भोजन के रूप में केवल पंचगव्य (Panchagavya) का ही पान करना चाहिये।

चैत्र मास संकष्टी चतुर्थी पूजा विधान
Chaitra Sankashti Chaturthi Puja Vidhan

ध्यानं – दोनो हाथ जोड़कर हाथ में पुष्प लेकर गणेश जी का ध्यान करें ।

sanakashti chaturthi vrat katha

उपर लिखे हुए मंत्र का उच्चारण करें और पुष्प श्री गणेश जी के चरणों में छोड़ दें ।
आवाहनं हाथ में चावल लेकर दिये गये मंत्र को पढ़ते हुए श्री ग़णेश जी के चरणों मे चावल छोड़ दें

sanakashti chaturthi vrat katha

आसनं दाएँ हाथ मे पुष्प लें और दिये गये मंत्र का उच्चारण करते हुए
ॐ गणेशाय नम:। आसनं समर्पयामि ॥
पुष्प गणेश जी पर छोड़ दें ।

पाद्यं पंचपात्र में से एक चम्मच जल लेकर मंत्र का उच्चारण करें -

sanakashti chaturthi vrat katha

और यह जल मूर्ति के आगे या गणेश जी को समर्पित करें ।

अर्घ्यं- एक अर्घा में गंध,अक्षत,पुष्प लेकर दिये हुए मंत्र को बोलते हुए -
ॐ श्री गणेशाय नम:। हस्तयो: अर्घ्यम् समर्पयामि ॥|
अर्घ्य मूर्ति के आगे अथवा गणेश जी को समर्पित करें ।
आचमनं- चम्मच में थोड़ा जल लेकर दिये हुए मंत्र को बोलते हुए -
ॐ गणेशाय नम:। आचमनीयं जलं समर्पयामि ॥
यह जल श्री गणेश जी के चरणों मे छोड़ दें ।
स्नानं- श्री गणेश जी के मूर्ति को को गंगाजल से स्नान करवाएं। एक पात्र में जल लेकर दिये हुए मंत्र को बोलते हुए –
ॐ श्री गणेशाय नम:। स्नानं समर्पयामि ॥
जलं समर्पयामि॥
स्नान के लिये श्री गणेश जी को जल समर्पित करें।फिर आचमन के लिये पुन: जल समर्पित करें ।
पंचामृत स्नानं- एक पात्र में दूध,दही,घी,शहद,शर्करा(शक्कर) मिलाकर पंचामृत बनायें।
अब इस पंचामृत को चम्मच में लेकर श्री गणेश जी को स्नान करायें और साथ मे मंत्र का उच्चारण करें ।
ॐ श्री गणेशाय नम:। पंचामृत स्नानं समर्पयामि ॥
शुद्धोदक-स्नान – अब शुद्ध जल लेकर दिये हुए मंत्र को बोलते हुए - ॐ श्री गणेशाय नम:। शुद्धौदक स्नानं समर्पयामि ॥ शुद्ध जल से स्नान करायें ।
वस्त्रं- वस्त्र (वस्त्र ना हो तो मौली तोड़कर) हाथ में ले तथा मंत्र पढ़ते हुए –
ॐ श्री गणेशाय नम:। वस्त्रं समर्पयामि ॥
आचमनीयं जलं समर्पयामि ॥
वस्त्र समर्पित करें ।आचमन के लिये जल समर्पित करें ।
उपवस्त्रं- मौली तोड़कर हाथ में ले तथा मंत्र बोलते हुए श्री गणेश जी को उपवस्त्र समर्पित करें ।
ॐ श्री गणेशाय नम:। उत्तरीय उपवस्त्रं समर्पयामि ॥
आचमनीयं जलं समर्पयामि ॥
आचमन के लिये जल समर्पित करें
यज्ञोपवीतं यज्ञोपवीत हाथ में ले तथा मंत्र बोलते हुए श्री गणेश जी को समर्पित करें ।
ॐ श्री गणेशाय नम:। यज्ञोपवीतं समर्पयामि ॥
आचमनीयं जलं समर्पयामि ॥
आचमन के लिये जल समर्पित करें ।
गंधं- एक पात्र में चंदन लें ।
ॐ श्री गणेशाय नम:। गंधं समर्पयामि ॥
अनामिका अंगुली (दाएं हाथ की छोटी अंगुली के साथ वाली अंगुली ) से चंदन श्री गणेश जी को अर्पित करें ।
सिंदूरं- हाथ मे सिंदूर की डिब्बी लें ।
ॐ श्री गणेशाय नम:। सिंदूरं समर्पयामि ॥
श्री गणेश जी को सिंदूर समर्पित करें ।
कुंकुमं(अबीर) - एक पात्र में कुंकुम (गुलाल) लें ।
ॐ श्री गणेशाय नम:। कुंकुमं समर्पयामि ॥
श्री गणेश जी को कुंकुम समर्पित करें
गणेश जी को कुंकुम समर्पित करें ।
अक्षतं- हाथ में साबुत चावल और थोड़ा चंदन लेकर मिलाएं।
ॐ श्री गणेशाय नम:। अक्षतान् समर्पयामि ॥
श्री गणेश जी को अक्षत समर्पित करें ।
पुष्पं- पुष्प हाथ में लें ।मंत्र का उच्चारण करें -
ॐ श्री गणेशाय नम:। पुष्पं समर्पयामि ॥
पुष्प खड़े होकर समर्पित करना चाहिये ।
पुष्पमाला – दोनों हाथों में पुष्पमाला लें ।मंत्र का उच्चारण करें -
ॐ श्री गणेशाय नम:। पुष्पमालां समर्पयामि ॥
पुष्पमाला श्री गणेश जी को समर्पित करें ।
दूर्वादलं (दूब की गुच्छी)- हाथ में दुर्वा लें ।मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री गणेश जी को दुर्वा समर्पित करें ।
ॐ श्री गणेशाय नम:। दूर्वाङ्कुंरान् समर्पयामि ॥
धूपं- धूप जला कर धूप तैयार करें
ॐ श्री गणेशाय नम: धूपं आघ्रापयामि।
श्री गणेश जी को धूप समर्पित करें ।
दीपं— श्री गणेश जी को दीपक मंगल कामना के साथ समर्पित करें ।
ॐ श्री गणेशाय नम: दीपं दर्शयामि।
अब आप शुद्ध जल से हाथ धो लें ।
नैवैद्यम्- हाथ में लड्डु का पात्र लें तथा मंत्र उचारण कर श्री गणेश जी को समर्पित करें ।
ॐ श्री गणेशाय नम: नैवेद्यम् समर्पयामि।
मध्ये पानीयम् उत्तरपोशनार्थ,हस्तप्रक्षालनार्थं
मुख प्रक्षालनार्थं च जलं समर्पयामि।
भोग अर्पित करके एक-एक चम्मच जल पाँच बार श्री गणेश जी को समर्पित करते हुए मंत्र बोलें
1. ॐ प्राणाय स्वाहा
2. ॐ अपानाय स्वाहा
3. ॐ व्यानाय स्वाहा
4. ॐ उदानाय स्वाहा
5. ॐ समानाय स्वाहा
अब श्री गणेश जी को आचमन करायें ।
आचमनं- चम्मच में जल ले कर मुख शुद्धि के लिये जल समर्पित करें ।
ॐ श्री गणेशाय नम: । आचमनीयम् जलं समर्पयामि।
ऋतुफलं – मंत्र के साथ , फल समर्पित करें तथा आचमन के लिये जल समर्पित करें ।
ॐ श्री गणेशाय नम: । ऋतुफलम् समर्पयामि।
आचमनीयं जलं समर्पयामि।
अखंड ऋतुफलं- अखण्ड ऋतुफल(पंचमेवा) अर्पित करें तथा आचमन के लिये जल समर्पित करें।
ॐ श्री गणेशाय नम: । अखण्डऋतुफलम् समर्पयामि।
आचमनीयं जलं समर्पयामि।
ताम्बूलं(पूंगीफल)- ताम्बूल (पान के पत्ते) को उल्टा करके उस पर लौंग,इलायची,सुपारी एवं कुछ मीठा रखें। दो ताम्बूल बनायें ।
मंत्र के साथ श्री गणेश जी मुख शुद्धि के लिये ताम्बूल अर्पित करें
ॐ श्री गणेशाय नम: । मुखावासार्थे ताम्बूलं समर्पयामि।
द्र्व्यदक्षिणां- श्रद्धानुसार पैसा- रूपया हाथ में लेकर मंत्र उच्चारण के साथ श्री गणेश जी को दक्षिणा अर्पित करें ।
ॐ श्री गणेशाय नम: । द्रव्यदक्षिणां समर्पयामि।

प्रार्थनां:- श्री गणेश

दोनों हाथ जोड़कर श्री गणेश जी को नमस्कार करते हुए मंत्र का उच्चारण करें -

mahashivratri vrat katha

चंद्रमा पूजन:-

चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा की पूजा कर अर्घ्य अर्पण करें। उसके बाद गणेश चतुर्थी की कथा सुने अथवा सुनाये।

हवन:-

घी तथा बिजौरा नीम्बू से हवन करें। “ऊँ श्री गणेशाय नम:” मंत्र से 21 बार हवन करें।

आरती:-

तत्पश्चात् गणेश जी की आरती करें।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी ।
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी ॥
॥जय गणेश, जय गणेश, .. ॥
पान चढ़ें, फूल चढ़ें और चढ़ें मेवा ।
लडुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
॥जय गणेश,जय गणेश,.. ॥
अंधें को आँख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
॥जय गणेश, जय गणेश,.. ॥
दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी कामना को पूरा करो,
जग बलिहारी॥ ॥ जय गणेश,
जय गणेश,.. ॥
॥ इति श्री गणेश आरती ॥

मंत्र-पुष्पाञजलि

दोनों हाथों की अंजली में पुष्प भर कर ,हाथ जोड़ कर, दिये हुए मंत्र से ,पुष्प श्री गणेश जी को समर्पित करें ।
ॐ भुर्भुव: सिद्धि-बुद्धि सहिताय महागणपतये नम: ,मंत्र पुष्पाञ्जलिं समर्पयामि ।

श्री गणेश जी से क्षमा प्रार्थना के लिए –

अपराध सहस्त्राणि क्रियंते अहथर्निशं मया ।
तानि सर्वानि मे देव क्षमस्व पुरुषोत्तम