तारा भोजन
तारा भोजन का अर्थ है तारा देखकर भोजन करना अर्थात् सुर्य निकलने से छिपने तक का उपवास रखना। यह व्रत कार्तिक मास में किया जाता है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से इस व्रत को शुरु करते हैं और कार्तिक पूर्णिमा तक यह व्रत किया जाता है। इस व्रत में प्रत्येक दिन तारों को अर्घ्य देने के बाद तारा भोजन व्रत के कथा कहत हैं उसके बाद भोजन करते हैं। भोजन सात्विक होना चाहिये। इस व्रत में सुर्योदय से पहले स्नान कर लेना चाहिये। पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणों को भोजन करायें। अपनी सास या सास के उम्र की किसी महिला को साड़ी तथा रुपये देकर आशीर्वाद लें।
तारा भोजन व्रत कथा
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