राम की मिट्टी भी सोना होवे

एक जाट-जाटिन थे। जाटिन ने जाट से कहा- मैं तुम्हें चार रोटी बनाकर देती हूँ। तुम नदी किनारे जाना। वहाँ राम-लक्ष्मण आते हैं। वहाँ जाकर कहना-
राम बड़े लक्ष्मण छोटे
वो बैठे अम्बे की डाली
वो बैठे चम्बे की डाली
मिट्टी का दशरथ बनावें
माखन मिश्री का भोग लगावें।
दे परिक्रमा घर को आवे।
जाट पूरे रास्ते रटते गया, पर वहाँ जाकर भूल गया। वहाँ बोला-
लक्ष्मण बड़े राम छोटे
वो बैठे अम्बे की डाली
वो बैठे चम्बे की डाली
मिट्टी का दशरथ बनावें
माखन मिश्री का भोग लगावें।
दे परिक्रमा घर को आवे।

अगले दिन फिर चार रोटी बनाकर दी, फिर सिखाया-
राम बड़े लक्ष्मण छोटे
वो बैठे अम्बे की डाली
वो बैठे चम्बे की डाली
मिट्टी का दशरथ बनावें
माखन मिश्री का भोग लगावें।
दे परिक्रमा घर को आवे।

जाट इस बार भी रास्ते भर रटते गया, पर वहाँ जाकर भूल गया।वहाँ बोला-
लक्ष्मण बड़े राम छोटे
वो बैठे अम्बे की डाली
वो बैठे चम्बे की डाली
मिट्टी का दशरथ बनावें
माखन मिश्री का भोग लगावें।
दे परिक्रमा घर को आवे।

लक्ष्मण बड़े राम छोटे
वो बैठे अम्बे की डाली
वो बैठे चम्बे की डाली
मिट्टी का दशरथ बनावें
माखन मिश्री का भोग लगावें।
दे परिक्रमा घर को आवे।
जाटिन बोली- तुम तो बड़े भोले हो कहीं राम से बड़ा कोई है? कल फिर जाना और ठीक-ठीक बोलना। अगले दिन जाट फिर गया।इस बार ठीक-ठीक बोला-
राम बड़े लक्ष्मण छोटे
वो बैठे अम्बे की डाली
वो बैठे चम्बे की डाली
मिट्टी का दशरथ बनावें
माखन मिश्री का भोग लगावें।
दे परिक्रमा घर को आवे।

॥ इति ॥