अधिक मास / परमा एकादशी व्रत | Adhik Maas / Parma Ekadashi Vrat

अधिक (लौंद) / मल मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी परमा एकादशी कहलाती हैं। कृष्ण पक्ष की परमा एकादशी के व्रत से समस्त पाप, दु:ख और दरिद्रता आदि क्षय हो जाते हैं। जो मनुष्य पाँच दिन तक निर्जल व्रत करते हैं, वे अपने माता पिता और स्त्री सहित स्वर्ग लोक को जाते हैं। जो पाँच दिन तक सन्ध्या को भोजन करते हैं, वे स्वर्ग को जाते हैं। जो मनुष्य स्नान करके पाँच दिन तक ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं, उन्हें संसार को भोजन कराने का फल मिलता है। इस व्रत में जो घोड़े दान करते हैं, उन्हें तीनों लोक दान करने का फल मिलता है। जो मनुष्य उत्तम ब्राह्मण को तिल दान करते हैं, वे तिल की संख्या के बराबर विष्णु लोक रहते हैं। जो घी का पात्र दान करते हैं , वह सुर्य लोक को जाते हैं। जो पाँच दिन तक ब्रह्मचर्य पूर्वक रहते हैं, वे स्वर्ग जाते हैं ।

अधिक मास / परमा एकादशी व्रत विधि | Adhik Maas / Parma Ekadashi Vrat Vidhi

एकादशी तिथि को प्रात:काल उठकर नित्य कर्म से निवृत हो स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करें। धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प अर्पित करें। परमा एकादशी की कथा सुने। कथा के बाद एकादशी माता एवं विष्णु जी की आरती करें। रात्रि जागरण करें। दूसरे दिन प्रात:काल स्नान कर विष्णु भगवान का पूजन करें। उसके बाद भोजन करें।