सोमवार व्रत विधि एवं कथा - Monday Fast Method and Katha

सोमवार व्रत पूजा की सामग्री:-
शिव जी की मूर्ति
भांग,
बेलपत्र,
जल,
धूप,
दीप,
गंगाजल,
धतूरा,
इत्र,
सफेद चंदन,
रोली,
अष्टगंध,
सफेद वस्त्र

सोमवार व्रत पूजा विधि:-

सोमवार के दिन प्रात:काल उठकर नित्य-क्रम कर स्नान कर लें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा गृह को स्वच्छ कर शुद्ध कर लें। सभी सामग्री एकत्रित कर लें। शिव भगवान की प्रतिमा के सामने आसन पर बैठ जायें।
संकल्प :-
किसी भी पूजा या व्रत को आरम्भ करने के लिये सर्व प्रथम संकल्प करना चाहिये। व्रत के पहले दिन संकल्प किया जाता है। उसके बाद आप नियमित पूजा और वत करें। सबसे पहले हाथ में जल, अक्षत, पान का पत्ता, सुपारी और कुछ सिक्के लेकर निम्न मंत्र के साथ संकल्प करें:‌ -

somkvar vrat katha

सभी वस्तुएँ श्री शिव भगवान के पास छोड़ दें।
अब दोनों हाथ जोड़कर शिव भगवान का ध्यान करें।

आवाहन:-

अब हाथ में अक्षत तथा फूल लेकर दोनों हाथ जोड़ लें और निम्न मंत्र से भगवान शिव का आवाहन करें ।

somkvar vrat katha

हाथ में लिये हुए फूल और अक्षत शिव भगवान को समर्पित करें।
सबसे पहले भगवान शिव पर जल समर्पित करें।
जल के बाद सफेद वस्त्र समर्पित करें।
सफेद चंदन से भगवान को तिलक लगायें एवं तिलक पर अक्षत लगायें।
सफेद पुष्प,धतुरा,बेल-पत्र,भांग एवं पुष्पमाला अर्पित करें।
अष्टगंध, धूप अर्पित कर, दीप दिखायें।
भगवान को भोग के रूप में ऋतु फल या बेल और मिष्ठान अर्पित करें।
इसके बाद सोमवार व्रत कथा को पढ़े अथवा सुने। ध्यान रखें कम-से-कम एक व्यक्ति इस कथा को अवश्य सुने। कथा सुनने वाला भी शुद्ध होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल के पास बैठे। तत्पश्चात शिव जी की आरती करें । उपस्थित जनों को आरती दें और स्वयं भी आरती लें। प्रसाद सभी उपस्थित जनों में वितरित करें। स्वयं के लिये थोड़ा रख लें। व्रत खोलते समय सबसे पहले प्रसाद ग्रहण करें। उसके बाद भोजन करें।

सोमवार व्रत कथा प्रारम्भ (१/९)

somkvar vrat katha

Monday Fast Starts

There was a moneylender in Jwaalapur city. They have no shortage of money . He had no child,due to this concern, the moneylender used to dissolve day and night. For the attainment of son, he kept a fast every Monday and worshiped God Shiva and Parvati Ji with full devotion in Shivalay ( God Shiva’s temple)
Seeing this devotional spirit of her, one day Parvatiji told God Shiva- “The moneylender of Jwalapur is your exclusive devotee and always observes your fast and worships with great reverence. You must fulfill his wishes.” God Shiva smiled to listen Parvati ji and replied- “O Priya ! All the creatures on the earth recieve result(fruits) according to sin and virtue of their previous birth.” Then Goddess Parvati ji said with utmost insistence- "Maharaj! This moneylender is your exclusive devotee.