मोक्षदा एकादशी व्रत विधि एवं कथा - Mokshada Ekadashi Vrat Vidhi and Katha in Hindi
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी मोक्षदा एकादशी कहलाती हैं। इस व्रत के प्रभाव से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान श्री कृष्ण जी ने मोक्षदा एकादशी के दिन ही अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। अतः इस तिथि को गीता जयंती भी कहा जाता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत महात्म्य:- (Importance of Mokshada Ekadashi)
यह एकादशी मोक्ष प्रदान करने वाली है, सब पापों का हरण करनेवाली एकादशी है।‘मोक्षदा’ एकादशी बड़े-बड़े पातकों का नाश करनेवाली है। पितरों को, इस एकादशी का पुण्य दान करने से, मोक्ष की प्राप्ति होती है। वे नरक की यातनाओं से मुक्त हो स्वर्गलोक प्राप्त करते हैं। जो इस कल्याणमयी ‘मोक्षदा’ एकादशी का व्रत करता है, उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और मरने के बाद वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है। यह मोक्ष देनेवाली ‘मोक्षदा’ एकादशी मनुष्यों के लिये चिंतामणि के समान समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली है। इस महात्म्य के पढ़ने सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत पूजन सामग्री:- (Puja Saamagree for Mokshada Ekadashi Vrat)
∗ श्री विष्णु जी की मूर्ति
∗ वस्त्र(लाल एवं पीला)
∗ पुष्प
∗ पुष्पमाला
∗ नारियल
∗ सुपारी
∗ अन्य ऋतुफल
∗ धूप
∗ दीप
∗ घी
∗ पंचामृत (दूध(कच्चा दूध),दही,घी,शहद और शक्कर का मिश्रण)
∗ अक्षत
∗ तुलसी दल
∗ चंदन
∗ कलश
मोक्षदा एकादशी व्रत की विधि (Puja Method Of mokshada Ekadashi)
दशमी तिथि को सात्विक भोजन ग्रहण करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें। एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर नित्य क्रम कर स्नान कर लें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा गृह को शुद्ध कर लें। आसन पर बैठ जाये। गंध, पुष्प, धूप और सुंदर वस्त्र से श्री विष्णुजी का पूजन करें। मोक्षदा एकादशी व्रत की कथा सुने अथवा सुनाये। आरती करें। उपस्थित लोगों में प्रसाद वितरित करें। रात्रि में श्री विष्णुजी की प्रसन्नता के लिये नृत्य, गीत और स्तुति के दवारा जागरण करना चाहिये। द्वादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें। श्रीविष्णु भगवान की पूजा करें। ब्राह्मणों को भोजन करायें । उसके उपरांत स्वयं भोजन ग्रहण करें।