मंदार षष्ठी व्रत विधि एवं व्रत कथा

माघ शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि को मंदार षष्ठी का व्रत होता है। इस वर्ष यह 23 January 2018 Tuesday [२३ जनवरी २०१८ मंगलवार] को है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत में भगवान सुर्य की उपासना की जाती है। सुर्य के पूजा –उपासना से सभी प्रकार की मनोकामनायें पूर्ण होती है।

मंदार षष्ठी व्रत पूजन सामग्री:-

सुर्य की मूर्ति- हाथ में कमल लिये हुये (सम्भव हो तो सुवर्ण की)
ताम्र पात्र
काला तिल
पुष्प
धूप
दीप
केसर
चंदन- लाल
घी
नैवेद्य
वस्त्र

मंदार षष्ठी व्रत विधि:-

माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को सात्विक भोजन करे। यदि सम्भव हो तो एक समय ही भोजन ग्रहण करें। षष्ठी को प्रात:काल उठकर नित्य क्रम कर स्नान कर ले एवं स्वच्छ वस्त्र धारण कर ले। पूजा गृह को शुद्ध कर लें। आसन पा बैठ जायें। ताम्रपात्र में काले तिल से अष्टदल कमल बनाये। इस पर सुर्य देव की मूर्ति स्थापित करें । अष्टदल की पूजा पूर्व से पश्चिम के क्रम में आरम्भ करें। एक-एक कमल दल पर और मध्य भाग पर चंदन,अक्ष त,धूप,दीप, वस्त्र एवं नैवेद्य अर्पित करते हुये मंत्र उच्चारण के साथ भगवान सुर्य की पूजा करें:-
• “ऊँ भास्कराय नम:” (पूर्व दिशा में)
• “ऊँ सुर्याय नम:” (अग्निकोण में)
• “ऊँ अर्काय नम:” ( दक्षिण में)
• “ऊँ अर्यम्णे नम: ” ( नैर्ऋत्य में)
• “ऊँ वसुधात्रे नम:” ( पश्चिम में)
• “ऊँ चण्दभानवे नम:” (वायव्यमें)
• “ऊँ पूष्णे नम: ” ( उत्तर में)
• “ऊँ आनंदाय नम: ” ( ईशानकोण में )
• “ऊँ सर्वात्मने पुरुषायनम: ” (कमल की मध्यवर्ती कर्णिका में)
पूजा के बाद सुर्य देव की आरती करें।
आरती का प्रोक्षण कर सभी को आरती दें। व्रत के दिन केवल मंदार के पुष्प ग्रहण करें। सप्तमी को प्रात:काल उठकर स्नान कर सुर्य देव की पूजा करें। ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान दें। तत्पश्चात् पूर्वाभिमुख होकर तेल तथा नमक ग्रहण कर पारण करें ।इस प्रकार से प्रत्येक मास के शुक्ल-षष्ठी को व्रत करें।