आषाढ़ संकष्टी चतुर्थी
Ashadh sankashti chaturthi

आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष चतुर्थी को एकदंत गणेश जी की पूजा होती है। साधक को सुबह उठकर शुद्ध हो स्वच्छ वस्त्र पहन कर एकदंत गणेश जी का मन ही मन ध्यान करके इस व्रत का संकल्प करना चाहिये और यह प्रार्थना करनी चाहिये कि हे विघ्नविनाशक गणेश जी मैं आपके इस व्रत को करने का संकल्प करता हूँ आप मुझ पर कृपा करें जिससे मैं इस व्रत को पूर्ण कर सकूँ। इसके बाद दैनिक पूजा करें। सारा दिन गणेश जी के स्मरण में बितायें। शाम को विधिपूर्वक गणेश जी के एकदंत स्वरूप का पूजन करें। चंद्रमा को अर्घ्य दें। आषाढ़ कृष्ण पक्ष चतुर्थी की कथा सुने अथवा सुनाये । उसके बाद ब्राह्मणों को वस्त्रादि दान दें। उसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।
इस व्रत के प्रभाव से संतानहीन को संतान और निर्धन को धन की प्राप्ति होती है। साधक के सभी मनोरथ गणेश जी की कृपा से सिद्ध होते हैं और शत्रुओं का नाश होता है।